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(Lord Ganesha) का मस्तक तो हाथी का है लेकिन वह सवारी नन्हे मूषक की करते हैं. खाने को उन्हें चाहिए गोल-गोल लड्डू. उनकी आकृति चित्रकारों की कूची को बेहद प्रिय रही है और उनकी बुद्धिमत्ता का लोहा ब्रह्मादि सहित सभी देवताओं ने माना है. उनके विचित्र रूप को लेकर उनके भक्तों में जिज्ञासा रहती है. आइए इन जिज्ञासाओं को दूर करते हैं.
Ganesh Chaturthi 2013- भगवान गणेश की पहले पूजा क्यों की जाती है
कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर की जाती है. इस तरह की स्थिति को हम ‘श्रीगणेश’ के नाम से भी जानते हैं. अब मन में सवाल उठता है कि आखिर क्यों भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) की पूजा अन्य देवताओं से पहले की जाती है.
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गणेश जी की प्रथम पूजा के संबंध में कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं. जब भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काटा तो उस समय पार्वती बहुत क्रोधित हुईं. गज का सिर लगाने के बाद भी जब वह शिव से रूठी रहीं तो शिव ने उन्हें वचन दिया कि उनका पुत्र गणेश कुरूप नहीं कहलाएगा बल्कि उसकी पूजा सभी देवताओं से पहले की जाएगी.
एक अन्य कथा के अनुसार एक बार सभी देवताओं में पहले पूजे जाने को लेकर विवाद छिड़ गया. आपसी झगड़ा सुलझाने के लिए वे भगवान विष्णु के पास गए. विष्णु जी सभी देवताओं को लेकर महेश्वर शिव के पास गए. शिव ने यह शर्त रखी कि जो पूरे विश्व की परिक्रमा करके सबसे पहले यहां पहुंचेगा वही श्रेष्ठ होगा और उसी की पूजा सर्वप्रथम होगी. शर्त सुनते ही सभी देवता शीघ्रता से अपने-अपने वाहनों में बैठ विश्व की परिक्रमा के लिए प्रस्थान कर गए लेकिन गणेश जी ने बुद्धि चातुर्य का प्रयोग किया और अपने माता-पिता से एक साथ बैठने का अनुरोध किया. गणेश जी माता (पृथ्वी) और पिता (आकाश) की परिक्रमा करने के बाद सर्वश्रेष्ठ पूजन के अधिकारी बन गए.
Ganesh Chaturthi Special-गणेश जी की बाल लीलाएं
Ganesh Chaturthi 2013- मूषक को क्यों चुना अपना वाहन
(Lord Ganesha) जी ने आखिर निकृष्ट माने जाने वाले मूषक (चूहा) जीव को ही अपना वाहन क्यों चुना? गणेश जी की बुद्धि का हर कोई कायल है. तर्क-वितर्क में हर कोई हार जाता था. एक-एक बात या समस्या की तह में जाना, उसकी मीमांसा करना और उसके निष्कर्ष तक पहुंचना उनका शौक है. चूहा भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं रहता. चूहे का काम किसी भी चीज को कुतर डालना है, जो भी वस्तु चूहे को नजर आती है वह उसकी चीरफाड़ कर उसके अंग प्रत्यंग का विश्लेषण सा कर देता है. शायद गणेश जी ने कदाचित चूहे के इन्हीं गुणों को देखते हुए उसे अपना वाहन चुना होगा.
Ganesh Chaturthi 2013- क्या है गणेश जी की सूंड
गणेश जी की सूंड को लेकर ऐसी मान्यता है कि सूंड को देखकर दुष्ट शक्तियां डरकर मार्ग से अलग हो जाती हैं. इस सूंड के जरिए गणेश जी ब्रह्मा जी पर कभी जल फेंकते हैं तो कभी फूल बरसाते हैं. गणेश जी की सूंड के दायीं ओर या बायीं ओर होने का भी अपना महत्व है. कहा जाता है कि सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए उनकी दायीं ओर मुड़ी सूंड की पूजा करनी चाहिए और यदि किसी शत्रु पर विजय प्राप्त करने जाना हो तो बायीं ओर मुड़ी सूंड की पूजा करनी चाहिए.
Ganesh Chaturthi-पार्वती जी के दुलारे की कथा
Ganesh Chaturthi 2013- क्यों कहा जाता है लंबोदर
(Lord Ganesha) माता पार्वती का दूध दिन भर पीते रहते थे. उन्हें डर था कि कहीं भैया कार्तिकेय आकर दूध न पी लें. उनकी इस प्रवृति को देखकर पिता शंकर ने एक दिन विनोद में कह दिया कि तुम दूध बहुत पीते हो कहीं तुम लंबोदर न बन जाओ. बस इसी दिन से गणेश जी का नाम लंबोदर पड़ गया. उनके लंबोदर होने के पीछे एक कारण यह भी माना जाता है कि वे हर अच्छी-बुरी बात को पचा जाते हैं.
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