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इस साल 15 जून को पड़ने वाला खग्रास चंद्रग्रहण सदी का पहला सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा. यह 3 घंटे 41 मिनट तक नजर आएगा. अर्धरात्रि में 1 घंटे 41 मिनट तक चांद तांबे जैसा नजर आएगा. इसका असर पूरे भारत मे देखा जा सकता हैं. ज्योतिष और खगोलविदों की मानें तो पिछले एक दशक में इतना लंबा चंद्रग्रहण नहीं दिखा.
धर्म शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के अपने दोष-गुण होते हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि इससे फसलों की पैदावार में कमीं होगी, वहीं राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से वृद्धि और राजनीतिक विद्वेष पनपेगा. ज्योतिषियों का मानना है कि चंद्र ग्रहण प्रारंभ होने से नौ घंटे पूर्व तथा सूर्य ग्रहण के 12 घंटा पूर्व ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो जाता है. इस काल अवधि को भी ग्रहण के दोष और गुण के साथ विशेष रूप से देखा जाता है.
निषेध व्यवहार
ग्रहण के क्रम में बच्चा, वृद्ध और रोगी को छोड़ कर सूतक का असर सभी पर पड़ता है. इस कारण किसी भी तरह के खान-पान का व्यवहार ग्रहण के दौरान वर्जित बताया जाता है. ग्रहण काल अवधि में श्रद्धालुओं को धार्मिक कार्य में रहते हुए भजन, भगवान की अराधना, दान, जप आदि करना चाहिए, ग्रहण के दौरान किए गए जप और सिद्धि तिगुना फल देने वाले होते हैं.
राशियों पर प्रभाव
मुख्य रूप से वृश्चिक राशि पर पड़ने वाले इस ग्रहण के असर से बाकी राशियां भी प्रभावित हो सकती हैं. ज्योतिषों के अनुसार, मेष और वृष राशि के जातकों को कष्ट और शारीरिक पीड़ा मिल सकती है, वहीं चंद्र ग्रहण के प्रभाव से कर्क और मिथुन राशि वाले लोग चिंताग्रस्त हो सकते हैं, इसके अलावा सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों को मानहानि की प्राप्ति हो सकती है. जहां कन्या राशि वालों को धन की प्राप्ति होगी, वहीं तुला राशि वालों को इसकी क्षति होने की संभावना है. वृश्चिक राशि वालों को दुर्घटना का भय सता सकता है लेकिन मकर और कुंभ राशि वाले लोगों को लाभ की प्राप्ति होने की पूरी संभावना है.
लेकिन खगोलशास्त्रियों की मानें तो यह ग्रहण वैज्ञानिक अनुसंधान की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है. डेढ़ घंटे से अधिक समय तक रहने वाला यह समय खगोलप्रेमियों के लिए भी काफी हद तक रोमांचकारी रहेगा.
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