- 1020 Posts
- 2122 Comments
जीत तो सबको मिलती है लेकिन जीत का असर कुछ ऐसा हो कि जिससे बाद में टकराने वाला हजार बार सोचे ऐसी जीत के क्या कहने. इस क्रिकेट विश्व कप में पिछले 12 से भी अधिक वर्षों तक राज करने वाले आस्ट्रेलिया को मुंह की खानी पड़ी तो पिछली बार बिहार चुनावों में लालू की 15 साल की बादशाहत को नीतीश कुमार ने उखाड़ फेंका था. लेकिन लालू और आस्ट्रेलिया ने अपनी जीत का डर विरोधियों के दिल में ऐसा बनाया था जो सब उनसे टकराने से डरते थे. भारतीय राजनीति में अगर लालू बिहार में कल तक अपराजित थे तो वहीं तमिलनाडु में एम करुणानिधी (M. Karunanidhi) आज तक अपराजित रहे हैं.
तमिलनाडु में अब तक पांच बार मुख्यमंत्री पद सुशोभित कर चुके एम करुणानिधि ने अपने 60 साल के राजनीतिक कैरियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया है. करुणानिधि तमिलनाडु राज्य के एक द्रविड़ राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (डीएमके) के प्रमुख हैं. वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता हैं. करुणानिधि (M. Karunanidhi) का जन्म 3 जून 1924 को तिरुक्कुवलइ (Thirukuvalai) में हुआ था. उनका बचपन का नाम दक्षिणमूर्ति था. वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और पटकथा लेखक भी हैं. उनके समर्थक उन्हें कलाईनार (तमिल:कला का विद्वान) कहकर बुलाते हैं.
एम करुणानिधि ने अपने राजनीतिक सफर की उड़ान 14 साल की उम्र से ही कर दी थी. जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी (Alagiriswamii) के एक भाषण से प्रेरित होकर उन्होंने हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया. हिंदी विरोधी आंदोलन ने उनके अंदर के नेता को जगा दिया था. इस आंदोलन के दौरान करुणानिधि (M. Karunanidhi) को जेल भी जाना पड़ा था लेकिन तब तक करुणानिधि में राजनैतिक समझ आ चुकी थी. दक्षिण में हिंदी विरोधी आंदोलन का असर कुछ ऐसा हुआ कि वहां के स्टेशनों और बस स्टैंडों का नाम हिंदी से बदल कर तमिल में लिखा जाने लगा.
करूणानिधि को तिरुचिरापल्ली जिले के कुलिथालाई विधानसभा से 1957 में तमिलनाडु विधानसभा के लिए पहली बार चुना गया. वे 1961 में डीएमके कोषाध्यक्ष बने और 1962 में राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता बने और 1967 में जब डीएमके सत्ता में आई तब वे सार्वजनिक कार्य मंत्री बने. जब 1969 में अन्नादुरई की मौत हो गई तब करूणानिधि (M. Karunanidhi) को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बना दिया गया. तमिलनाडु राजनीतिक क्षेत्र में अपने लंबे करियर के दौरान वे पार्टी और सरकार में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं.
एम करुणानिधि (M. Karunanidhi) तमिलनाडु राज्य की विधानसभा की सेन्ट्रल चेन्नई के चेपौक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
एम करुणानिधि (M. Karunanidhi) एक सफल नेता होने के साथ ही एक अच्छे लेखक भी हैं जिनकी कई रचनाओं पर फिल्में भी बन चुकी हैं. साहित्य में उनकी रचना की वजह से लोग उन्हें तमिल भाषा का गुरु भी मानते हैं. एम करुणानिधि कई पुस्तकें, कहानी और पटकथाएं लिख चुके हैं.
एम करुणानिधि का राजनैतिक कैरियर विवादों से ग्रस्त रहा हैं. चाहे हिंदी विरोधी अभियान के दौरान उनका रवैया, राम सेतु विवाद हो या एलटीटीई के साथ उनके संबंध करुणानिधि हमेशा ही शक के घेरे में रहे हैं.
आज तमिलनाडु में करुणानिधि (M. Karunanidhi) एक ऐसी शख्सियत हैं जैसी उप्र में मुख्यमंत्री मायावती. करुणानिधि ने तीन बार शादी की है. उनकी तीन पत्नियां हैं पद्मावती, दयालु आम्माल और राजात्तीयम्माल (Rajathiammal). करुणानिधि के चार बेटे एम.के. मुत्तु, एम.के. अलागिरी, एम.के. स्टालिन और एम.के. तामिलरसु हैं. उनकी पुत्रियां सेल्वी और कानिमोझी हैं जिसमें से कानिमोझी राज्यसभा की सांसद हैं. पढ़ा लिखा और आधुनिक होने के बाद भी करुणानिधि बृहस्पति ग्रह शान्ति के लिए वे पीला वस्त्र पहनते हैं.
करुणानिधि (M. Karunanidhi) को जानकार एक भ्रष्ट और आपराधिक छवि वाला नेता मानते हैं लेकिन करुणानिधि ने राजनीति के अनुरुप खुद को ढ़ाल लिया फिर चाहे उन्हें गलत कहें या सही.
करुणानिधि का मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल
वर्ष से | वर्ष तक | चुनाव |
1969 | 1971 | तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनाव, 1967 |
1971 | 1976 | तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनाव, 1971 |
1989 | 1991 | तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनाव, 1989 |
1996 | 2001 | तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनाव, 1996 |
2006 | वर्तमान | तमिलनाडु राज्य विधानसभा चुनाव, 2006 |
Read Comments