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‘पर्व एक नाम अनेक’ इसी कथन को सिद्ध करता है मकर संक्रांति का पर्व. मकर संक्रांति हमारे देश का एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्यौहार है. मकर संक्रांति श्रद्धा, आस्था और विश्वास का त्यौहार है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है. यह त्यौहार जनवरी माह के तेरहवें, चौदहवें या पन्द्रहवें दिन(जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है ) पड़ता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ होती है. इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं.
संक्रांति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल ‘संक्रांति’ कहते हैं. मकर संक्रांति पर्व का खगोलीय महत्व भी है. इस पर्व के पीछे एक वैज्ञानिक कहानी भी है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. भारत उत्तरी गोलार्द्ध का एक हिस्सा है अत: जब सूर्य इससे दूर हो जाता है तो रातें बड़ी हो जाती हैं और दिन छोटा हो जाता है. सूर्य के दक्षिणायन होने पर शास्त्रों के अनुसार यह समय मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं होता है और सूर्य की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए श्री कृष्ण कहते हैं जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है वह मेरे लोक में निवास करता है, क्योंकि यह देवताओं का दिन होता है, दक्षिणायन में शरीर त्याग करने वाले को पुन: देह धारण करना पड़ता है क्योकि इस समय देवताओं की रात्रि होती है. इस वजह से मकर संक्रान्ति का बहुत महत्व है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है. सामान्यत: भारतीय पंचांग की समस्त तिथियां चंद्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किंतु मकर संक्रांति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है. इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही पड़ता है.
इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है. इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है. मान्यता है कि इस दिन तिल से पितरों का श्राद्ध करना चाहिए.
मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बनी हुई चीजें खाने की परम्परा रही है. इस दिन तिल से बनी हुई वस्तुएं जैसे तिलकूट, तिल का लड्डू, गजक, रेवड़ी खाना पर्व का विधान है. इसी के साथ अधिकतर उत्तर और पूर्वी भारत में खिचड़ी खाने और बांटने की भी परंपरा है. इस समय तक धान खेतों से कट कर घर आ जाता है और नये चावल में उड़द की दाल मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. तमिलनाडु में इस दिन पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है. इस अवसर पर मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर बनाई जाती है और सूर्य देवता को प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है. इस प्रसाद को बाद में परिवार के सभी लोग मिलकर ग्रहण करते हैं.
सूर्य, फसल और पूर्वजों को समर्पित यह त्यौहार हिन्दू धर्म की संस्कृति को और भी विस्तृत बनाता है.
आप सभी को भी मकर संक्रांति की ढेरों बधाइयां
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