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मीना कुमारी: मुस्कुराहट को तरसती ट्रेजेडी क्वीन

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साहिब बीबी और गुलाम, पाकीज़ा,  दिल अपना और प्रीत पराई तथा बैजू बावरा जैसी अनगिनत सफल फिल्मों में गंभीर किस्म के रोल करने वाली बॉलीवुड की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के बारे में अकसर कहा जाता है कि उनका फिल्मी सफर भले ही किसी सुनहरे सपने से कम नहीं रहा लेकिन जब उनके निजी जीवन का जिक्र किया जाता है उनकी तन्हाई और उदासी साफ-साफ झलकती है और शायद उनका यही व्यक्तित्व उनकी फिल्मों में दिखाई देता है.


meena kumari 1मीना कुमारी का जीवन

अभिनेत्री मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ. उनके पिता अली बख्श एक पारसी थिएटर में काम किया करते थे जबकि उनकी मां इकबाल बेगम एक नर्तकी थीं. परिवार की आर्थिक हालत अच्छी न होने की वजह से मीना कुमारी को बीच में ही अपनी स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ी. एक कलाकार के रूप में उनकी प्रतिभा को देखकर 1939 में बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी को विजय भट्ट की फिल्म “लेदरफेस” में काम करने का मौका मिला.


फिल्मी कॅरियर

संजीदा अभिनय करने वाली मीना कुमारी का फिल्मी कॅरियर काफी संघर्षपूर्ण रहा. शुरुआत में उन्होंने लगभग दस वर्षों तक फिल्म जगत में संघर्ष किया. वर्ष 1952 में मीना कुमारी को निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म ‘बैजू बावरा’ में काम करने का मौका दिया. इस फिल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री के तौर पर फिल्म जगत में पहचान मिली. इसके बाद कई और सफल फिल्में दीं.


पाकीजा ने दिलाई असली पहचान

मीना कुमारी के फिल्मी कॅरियर में फिल्म “पाकीजा” मील के पत्थर के जैसी है.  कहा जाता है कि कमाल अमरोही की इस फिल्म को बनने में लगभग चौदह साल लगे. 1972 में जब यह फिल्म तैयार होकर प्रदर्शित हुई तो दर्शक मीना के अभिनय को देखकर मंत्र मुग्ध हो गए. यह फिल्म आज भी मीना कुमारी के जीवंत अभिनय के लिए याद की जाती है.


धर्मेन्द्र के साथ नजदीकियां

चार बार ‘फिल्मफेयर’ पुरस्कार से सम्मानित मीना कुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ वर्ष 1952 में विवाह किया. अमरोही पहले से ही शादीशुदा थे और मीना से 15 साल बड़े भी. उनकी शादीशुदा जिंदगी करीब दस साल तक एक सपने की तरह चली लेकिन 1965 तक आते-आते दोनों की वैवाहिक जीवन में दरार आ गई. मीना कुमारी और कमाल अमरोही अलग-अलग रहने लगे. इस बीच मीना कुमारी का जुड़ाव अभिनेता धर्मेन्द्र से भी हुआ. उस समय धर्मेन्द्र का कॅरियर डांवाडोल की स्थिति में था. फिल्म फूल और पत्थर (1966) में दोनों ने एक साथ काम किया. इस फिल्म में मीना कुमारी का किरदार एक दुखी विधवा का था जो सुरक्षा के लिए धर्मेन्द्र की ओर देखती है.


मीना कुमारी का निधन

फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्माण के समय मीना कुमारी की हालत खराब होने लगी इसके बावजूद भी उन्होंने न केवल फिल्म निर्माण का काम पूरा किया बल्कि शानदार अभिनय करके उसे अमर बना दिया. फिल्म पाकीजा फरवरी 1972 में रिलीज हुई उसके कुछ दिनों बाद ही मीना कुमारी दुनिया से विदा हो गईं.


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