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भोली सी सूरत तथा मासूम सी दिखने वाली हीरोइन नन्दा के नाम से शायद आज की नई पीढ़ी परिचित न हो लेकिन सत्तर और अस्सी के दशक में फिल्में देखने वाले उन्हें भूले नहीं होंगे. तब इनके खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक थे. चेहरे के साथ उनकी आवाज में भोलापन, बड़ी-बड़ी आंखें, गुलाबी होंठ, ये सब नन्दा की विशेषताएं थीं, जो उन्हें अन्य अभिनेत्रियों से काफी अलग करती थीं. उनके जन्मदिन है. इस उपलक्ष्य पर हम उन्हें हार्दिक बधाई देते हैं.
नन्दा का जीवन
8 जनवरी 1939 को महाराष्ट्र के एक व्यपारी परिवार में जन्मी नन्दा ने अपने फिल्मी सफर की शुरूआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी. जब नन्दा छोटी बच्ची थी उनके पिता का निधन हो गया था, जिनसे उनके परिवार को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. अपने परिवार की सहायता करने के लिए नन्दा ने छोटी सी उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था.
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नन्दा का फिल्मी कॅरियर
बचपन से ही मराठी फिल्मों में काम करने वाली नन्दा ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत 1956 में आई फिल्म ‘तूफान और दिया’ से किया. बाद में उन्हें ‘भाभी’ ‘तीन देवियां’, ‘गुमनाम’, ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’, ‘धरती कहे पुकार के’, ‘धूल का फूल’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘छोटी बहन’, ‘द ट्रेन’, ‘जोरू का गुलाम’ आदि फिल्मों में काम करने का मौका मिला.
फिल्म ‘छोटी बहन’ में नन्दा मुख्य भूमिका में क्या आईं, लोग उन्हें छोटी बहन की ही छवि में देखने लगे. इसके बाद नन्दा ने खुद को बदलने की कोशिश की और ‘जब जब फूल खिले’ और ‘गुमनाम’ जैसी फिल्मों से अपनी एक ग्लैमरस छवि कायम की लेकिन लोग उन्हें ज्यादा दिनों तक इस रूप में देखना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने दोबारा मासूमियत भरी अदाकारी की ओर रुख किया.
अभिनेता शशि कपूर के साथ जोड़ी
सहज और संवेदनशील अभिनय से दर्शकों का मन मोह लेने वाली नन्दा नें अभिनेता शशि कपूर के साथ आठ फिल्मों में काम किया है. इन फिल्मों में से ‘जब जब फूल खिले’ एकमात्र ऐसी फिल्म थी जिसे आज भी लोग देखकर पसंद करते हैं. नन्दा और शशि कपूर की जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया. खुद नन्दा मानती हैं कि शशि कपूर उनके पसंदीदा अभिनेता है.
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