- 1020 Posts
- 2122 Comments
इन दिनों भारत में हर जगह आपको नवरात्र पर्व की धूम देखने को मिल रही है. नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना के लिए बेहद विशेष माने जाते हैं. दुर्गा मां के नौ स्वरूपों से तो सभी परिचित हैं. आज नवरात्र का चौथा दिन है. नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी जी की पूजा होती है.
Read: Nav Durga Names in Hindi
Nau Durga’s Fourth Image: मां दुर्गा का चौथा स्वरूप
मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा देवी कहते हैं. उनका सूर्य के समान तेजस्वी स्वरूप व उनकी आठ भुजाएं हमें कर्मयोगी जीवन अपनाकर तेज अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं. उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवनी शक्ति का संवर्धन करते हुए हमें हंसते हुए कठिन से कठिन मार्ग पर चलकर सफलता पाने को प्रेरित करती है. मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें आत्मिक प्रकाश प्रदान करते हुए हमारी प्रज्ञा शक्ति को जाग्रत करके हमारी मेधा को उचित तथा श्रेष्ठ कार्यो में प्रवृत्त करता है.
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. इनका वाहन सिंह है.
Goddess Kushmanda: कूष्मांडा देवी की शक्तियां
मान्यता है कि मां अपनी हंसी से संपूर्ण ब्रह्मांड को उत्पन्न करती हैं और सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं. सूर्य के समान दैदिप्त्यमान इनकी कांति व प्रभा है. आठ भुजाएं होने के कारण ये अष्टभुजा देवी के नाम से विख्यात हैं. मान्यता के अनुसार, उन्हें कद्दू की बलि प्रिय है, इसलिए भी ये कूष्मांडा देवी के नाम से विख्यात हैं.
अपनी मंद हंसी द्वारा अण्ड अर्थात् ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है. जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था. चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिव्याप्त था. तब इन्हीं देवी ने अपने हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी. अत: यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं. इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं.
मां कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
मां कूष्मांडा के मंत्र
नवरात्र पर्व की एक अहम विशेषता इसमें इस्तेमाल होने वाले मंत्र हैं. नवरात्र के दिनों में दैवी को विशेष मंत्रों से प्रसन्न कर कई सिद्धियां हासिल की जा सकती हैं. इन्हीं दिनों तंत्र-मंत्र करने वाले अपनी तथाकथित शक्ति को बढ़ाने के लिए मां दुर्गा का आहवान करते हैं. लेकिन आम जन भी इन दिनों मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए तप और जप का सहारा लेते हैं. आम लोगों की पूजा अर्चना का एक अहम हिस्सा ध्यान मंत्र, स्त्रोत मंत्र और उपासन मंत्र होता है.
Read:Funny Jokes in Hindi
पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़ कर उनका आहवान किया जाता है और फिर स्त्रोत मंत्र से उनकी आराधना की जाती है. इसके बाद बारी आती है उपासना मंत्र की. आइए हम आपको सिलसिलेवार तरीके से यह मंत्र बताते हैं:
ध्यान मंत्र
सुरा संपूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दघानां हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा
शुभदास्तु मे॥
Read: Navratri Recipes in Hindi
स्त्रोत मंत्र
ध्यान वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्घ।
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम।।
कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्त्र गदा जपवटीधराम्घ।
पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिण रत्नकुण्डल मण्डिताम।।
प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम।
कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम् घ् स्तोत्र दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयदां धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्घ्॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्घ्।
त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दुरुख शोक निवारिणाम्॥
परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्घ् कवच हसरै मे शिररू पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम।
हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्घ्।
कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा॥
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतुघ ॥
उपासना मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तुमे॥
नवरात्र के चौथे दिन के बाद पांचवें दिन मां स्कन्दमाता की पूजा की जाती है जिनके बारे में हम अगले अंक में जानेंगे.
Read: नवरात्र व्रत दुर्गा शक्ति स्वरूपणी
Post Your Comments on: नवरात्र से जुड़ी अपनी यादों को हमसे करें सांझा?
Read Comments