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Maa Skandamata) भगवान स्कंद को गोदी में लिए हुए हैं और इनका यह रूप साफ जाहिर करता है कि यह ममता की देवी अपने भक्तों को अपने बच्चे के समान समझती हैं. साथ ही मां स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान स्कंद की पूजा भी स्वत: हो जाती है.
नवरात्र व्रत विधि और मंत्र
नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के दिनों में व्रत रखने के अतिरिक्त जो सबसे अहम कार्य करना होता है वह है मां की पूजा-अर्चना और उनकी अराधना करना. मां दुर्गा और उनके रूपों की पूजा करने के लिए अलग-अलग विधियां और सभी देवियों के अलग मंत्र हैं जिनकी सहायता से मां दुर्गा और अन्य देवियों की पूजा की जाती है. तो चलिए आज जानते हैं मां स्कंदमाता के मंत्र और पूजन विधि.
मां स्कंदमाता- Maa Skandamata
Maa Skandamata) के नाम से जानते हैं. यह शक्ति व सुख का एहसास कराती हैं. ये सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसी कारण इनके चेहरे पर तेज विद्यमान है. इनका वर्ण शुभ्र है.
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एक पंथ दो काज
भगवान स्कंद (भगवान कार्तिकेय) बाल रूप में स्कंदमाता की गोद में बैठे हैं. यही देवी का स्वरूप है जो साफ दर्शाता है कि मां वात्सल्य से ओतप्रोत हैं. यह हमारे भीतर कोमल भावनाओं में अभिवृद्धि करता है. आंतरिक व बाह्य जीवन को पवित्र व निष्पाप बनाते हुए आत्मोन्नति के मार्ग पर अग्रसर करता है.
मां की उपासना के साथ ही भगवान स्कंद की उपासना स्वयं ही पूर्ण हो जाती है. क्योंकि भगवान बालस्वरूप में सदा ही अपनी मां की गोद में विराजमान रहते हैं. भवसागर के दु:खों से छुटकारा पाने के लिए इससे दूसरा सुलभ साधन कोई नहीं है.
मां स्कंदमाता-Maa Skandamata का स्वरूप
स्कन्दमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन भी सिंह है. इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री भी कहा जाता है. यह दोनों हाथों में कमंडल लिए हुए हैं. स्कन्द माता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप छह सिर वाली देवी का है. अतः इनकी पूजा-अर्चना में मिट्टी की 6 मूर्तियां सजाना जरूरी माना गया है.
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कैसे करें मां स्कंदमाता- Maa Skandamata की पूजा
माना जाता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से मन की सारी कुण्ठा जीवन-कलह और द्वेष भाव समाप्त हो जाता है. मृत्यु लोक में ही स्वर्ग की भांति परम शांति एवं सुख का अनुभव प्राप्त होता है. साधना के पूर्ण होने पर मोक्ष का मार्ग स्वत: ही खुल जाता है.
साधना विधान
सर्वप्रथम मां स्कंद माता की मूर्ति अथवा तस्वीर को लकडी की चौकी पर पीले वस्त्र को बिछाकर उस पर कुंकुंम से ॐ लिखकर स्थापित करें. मनोकामना की पूर्णता के लिए चौकी पर मनोकामना गुटिका रखें. हाथ में पीले पुष्प लेकर मां स्कंद माता के दिव्य ज्योति स्वरूप का ध्यान करें.
ध्यान के बाद हाथ के पुष्प चौकी पर छोड दें. तदुपरांत यंत्र तथा मनोकामना गुटिका सहित मां का पंचोपचार विधि द्वारा पूजन करें. पीले नैवेद्य का भोग लगाएं तथा पीले फल चढ़ाएं. इसके बाद मां के श्री चरणों में प्रार्थना कर आरती पुष्पांजलि समर्पित करें तथा भजन कीर्तन करें.
स्कंदमाता (Maa Skandamata) के मंत्र
Dhyan Mantra of Devi Durga:
ध्यान मंत्र –
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥
Devi Durga Mantra: स्तोत्र मंत्र
नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्घ्
शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्घ्
महेन्द्रकश्यपाद्दचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।
सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्घ्
मुमुक्षुभिद्दवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।
नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।
सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।
सुधाद्दमककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्घ्
शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।
तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्घ्
सहस्त्रसूर्यराजिकांधनच्जयोग्रकारिकाम्।
सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमच्जुलाम्घ्
प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।
स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्घ्
इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।
पुनरूपुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराद्दचतामघ्
जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्घ्
कवच ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्
इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।
उपासना मंत्र
सिंहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
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