- 1020 Posts
- 2122 Comments
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए सबसे अहम योगदान इतिहासकार क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों का मानते हैं. यह सत्य है कि भारत को आजादी गांधी जी के शांति आंदोलनों की वजह से मिली लेकिन सभी बड़े इतिहासकार इस तथ्य को भी नहीं नकारते कि बिना क्रांतिकारियों के यह संभव थी. क्रांतिकारियों के उस फौज में एक ऐसे शख्स भी थे जिन्हें लोग नेताजी कहते थे और वह थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस.
Read: Video of Indian Army
सुभाष चन्द्र: एक असली शेर
कई इतिहासकार और तथ्य यह साबित करते हैं कि सुभाष चन्द्र असल मायनों में हीरो थे. उनकी गतिविधियों ने ना सिर्फ अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए बल्कि उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपनी एक अलग फौज भी ख़डी की थी जिसे नाम दिया आजाद हिन्द फौज. अंग्रेजों ने उन्हें देश से तो निकालने पर विवश कर दिया लेकिन अपने देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने विदेश में जाकर भी ऐसी सेना तैयार की जिसने आगे जाकर अंग्रेजों को दिन में ही तारे दिखाने का हौसला दिखाया.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि भारत से अंग्रेजी हुकूमत को ख़त्म करने के लिए सशस्त्र विद्रोह ही एक मात्र रास्ता हो सकता है. अपनी विचारधारा पर वह जीवन-पर्यंत चलते रहे और उन्होंने एक ऐसी फौज खड़ी की जो दुनिया में किसी भी सेना को टक्कर देने की हिम्मत रखती थी.
Read: अगर गांधी चाहते तो बच सकते थे
Netaji Subhash Chandra Bose Quotes in Hindi: सुभाष चन्द्र बोस के कथन
सुभाष चन्द बोस ने हमेशा पूर्ण स्वतंत्रता और इसके लिए क्रांतिकारी रास्ते ही सुझाए. उन्होंने ही “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” जैसे नारों से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई जान फूंकी थी.
आजाद हिन्द फौज (Azad Hind Fauj )
सुभाष चन्द्र ने सशस्त्र क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को ‘आजाद हिन्द सरकार’ की स्थापना की तथा ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया. इस संगठन के प्रतीक चिह्न एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था.
कदम-कदम बढाएजा, खुशी के गीत गाए जा – इस संगठन का वह गीत था, जिसे गुनगुना कर संगठन के सेनानी जोश और उत्साह से भर उठते थे.
आजाद हिंद फौज के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई. इस फौज में न केवल अलग-अलग सम्प्रदाय के सेनानी शामिल थे, बल्कि इसमें महिलाओं का रेजिमेंट भी था.
यहां यह जानना आवश्यक है कि आजाद हिन्द फौज (इण्डियन नेशनल आर्मी) का गठन कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने मिलकर 1942 में किया था जिसे बाद में नेताजी ने पुनर्गठित किया और इसमें नई शक्ति का संचार किया.
Read: भारत के महान क्रांतिकारियों की दास्तां
मौत भी थी रहस्यमयी
कभी नकाब और चेहरा बदलकर अंग्रेजों को धूल चटाने वाले नेताजी की मौत भी बड़ी रहस्यमयी तरीके से हुई. द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद नेताजी को नया रास्ता ढूंढ़ना जरूरी था. उन्होंने रूस से सहायता मांगने का निश्चय किया था. 18 अगस्त, 1945 में नेताजी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे. इस सफर के दौरान वे लापता हो गए. इस दिन के बाद वे कभी किसी को दिखाई नहीं दिए. 23 अगस्त, 1945 को जापान की दोमेई खबर संस्था ने दुनिया को खबर दी कि 18 अगस्त के दिन नेताजी का हवाई जहाज ताइवान की भूमि पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होकर नेताजी ने अस्पताल में अंतिम सांस ली. लेकिन आज भी उनकी मौत को लेकर कई शंकाए जताई जाती हैं.
लेकिन नेताजी की मौत पर बनी विभिन्न कमेटियों के नतीजे बेहद रोचक और आपस में मेल नहीं खाते. नेताजी की मौत के बाद कई लोगों ने तो खुद के नेताजी सुभाषचन्द्र होने का भी दावा किया लेकिन सब बेबुनियाद. खुद ताइवान सरकार ने भी अपना रेकॉर्ड देखकर खुलासा किया था कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं था.
Read: स्वतंत्रता पर प्रसिद्ध व्यक्तियों के विचार
कई लोग तो यह भी मानते हैं कि भारत सरकार ये जानती थी कि नेताजी विमान दुर्घटना में नहीं मरे लेकिन उन्होंने जनता से यह सच्चाई छुपाई और इस सच्चाई को छुपाने का एक बहुत बड़ा कारण भी था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गांधी के विरोधी थे और कोई भी कांग्रेसी गांधी के विरोधी को पसंद नहीं करता.
1956 में बनी शाहनवाज कमेटी और 1970 में बने खोसला आयोग ने तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत को विमान दुर्घटना ही बताया लेकिन 1978 में मोरारजी देसाई ने इन दोनों आयोगों की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. इसके बाद गठन हुआ मुखर्जी आयोग का जिसने सच्चाई जानने की कोशिश की लेकिन इस आयोग की रिपोर्ट को कांग्रेस ने मानने से इंकार कर दिया. आज हालात यह हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे महानायक की मौत एक रहस्य बनी हुई है.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का यूं तो पूरा जीवन ही रहस्यों से भरा था जैसे रहस्यमयी तरीके से अंग्रेजों की जेल से निकलना और रहस्यमयी तरीके से लड़ाई लड़ना लेकिन उनकी मौत भी रहस्यमयी होगी यह किसी ने नहीं जाना था. खैर आज उनकी जयंती पर हम देश के इस महानायक को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं और आशा करते हैं आने वाले समय में नेताजी की मौत के रहस्य से अवश्य पर्दा उठेगा और देश के इस असली हीरो को उसका असली स्थान मिलेगा.
Also Read:
Full Profile of Subhash Chandra Bose in Hindi
Post Your Comments on: क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत को रहस्य बनाने के पीछे कांग्रेस का हाथ है?
Read Comments