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जन्मदिन विशेषांक : परेश रावल

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एक अभिनेता की असली परख इसी बात से की जाती है की वह विभिन्न किरदारों को किस तरह निभा पाता है? कई बार विभिन्न किरदारों में ढलने के लिए अभिनेताओं को काफी दिक्कत होती है लेकिन कुछेक कलाकार ऐसे भी होते हैं जिनको चाहे कोई भी रोल दे दो वह उसमें फिट हो ही जाते हैं. हिन्दी सिनेमा जगत में नसरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, परेश रावल आदि कई मंझे हुए कलाकार हैं जो कभी किसी एक किरदार में बंध कर नहीं रहते.


Paresh-rawalआज अभिनेता परेश रावल (Paresh Rawal) का जन्मदिन है. 30 मई, 1950 को अहमदाबाद में जन्मे परेश रावल  ने 22 वर्ष की आयु में पढाई पूरी करके सिविल इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया. इसके लिए वह अहमदाबाद(Ahmedabad) से मुंबई आए. परेश रावल को एक्टिंग और कला का भी शौक था, जिसे उन्होंने थियेटर में दिखाया.  शुरुआती समय में जब लोगों ने उनके काम को देखा तो उन्हें सलाह दी कि वह अपना कैरियर फिल्मो में ही बनाएं, उसके बाद परेश ने भी फिल्मों की तरफ ध्यान देना शुरु किया.


काफी स्ट्रगल करने के बाद उन्हें 1984 की फिल्म होली में पहला चांस मिला. इस फिल्म के बाद उन्हें ‘हिफाज़त’, ‘दुश्मन का दुश्मन’, ‘लोरी’ और ‘भगवान दादा’ जैसी फिल्मों में भी काम करने का अवसर मिला लेकिन इनसे उन्हें कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ.


इसके बाद साल 1986 में परेश रावल (Paresh Rawal) को राजेन्द्र कुमार निर्मित फिल्म ‘नाम’ में काम करने का अवसर मिला. इस फिल्म में परेश रावल ने खलनायक (Villian) की भूमिका निभाई जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया. धीरे-धीरे परेश ने लीड हीरो की जगह खलनायक की भूमिका करने का फैसला किया. 90 के दशक में अधिकतर फिल्मों में उन्होंने खलनायक और सहायक अभिनेता की भूमिका अदा की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा.


Paresh Rawal's bioghraphyसाल 1993 परेश रावल (Paresh Rawal) के सिने कैरियर के लिए महत्वपूर्ण साल साबित हुआ. इस साल उनकी ‘दामिनी’, ‘आदमी और मुकाबला’ जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुईं. फिल्म ‘सर’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला जबकि फिल्म ‘वो छोकरी’ में अपने दमदार अभिनय के लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार(National Award) से भी सम्मानित किए गए.


परेश रावल (Paresh Rawal) ने सबसे दमदार अभिनय साल 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘तमन्ना’ में की. इस फिल्म में उन्होंने एक हिजड़े का रोल निभाया था. हालांकि यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई पर परेश रावल ने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों के साथ ही समीक्षकों का भी दिल जीत लिया.


साल 2000 में आई फिल्म ‘हेराफेरी’ परेश रावल की सर्वाधिक सफल फिल्मों में से एक है. ‘हेराफेरी’ की सफलता के बाद परेश रावल ने फिल्मों में हास्य भूमिकाएं ही निभाई. ‘आवारा पागल दीवाना’, ‘हंगामा’, ‘फंटूश’, ‘गरम मसाला’, ‘दीवाने हुए पागल’, ‘मालामाल वीकली’, ‘भागमभाग’, ‘वेलकम’ और ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ जैसी फिल्मों में अपने कॉमेडियन अंदाज से उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया.


परेश रावल को अब तक तीन फिल्मफेयर अवार्ड दिए जा चुके हैं. साल 1993 में फिल्म ‘सर’, 2000 में फिल्म ‘हेराफेरी’ और 2002 में फिल्म ‘आवारा पागल दीवाना’ के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया. साल 1995 में प्रदर्शित फिल्म ‘राजा’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का स्टार स्क्रीन पुरस्कार भी दिया गया.


परेश रावल के अन्दर हर किरदार को खुद में ढाल लेने की क्षमता है जो उन्हें एक बेहतरीन अदाकार बनाती है. आने वाले सालों में भी परेश की कई फिल्में हमें गुदगुदाने को आने वाली हैं.

परेश रावल की ज्योतिषीय विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें.


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