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हिन्दी फिल्मों के जाने माने अभिनेता प्राण का जिक्र आते ही आंखों के सामने एक ऐसा भावप्रवण चेहरा आ जाता है जो अपने हर किरदार में जान डालते हुए यह अहसास करा जाता है कि उसके बिना यह किरदार अर्थहीन हो जाता.
बॉलीवुड में एक दौर ऐसा भी था, जब लगभग हर हिंदी फिल्म की स्टारकास्ट में लिखा आता ..’एंड प्राण’. सैकड़ों फिल्मों में अपने जानदार और ‘कातिलाना’ अभिनय से निगेटिव रोल में भी प्राण फूंकने वाले अभिनेता प्राण का आज जन्मदिन है.
कभी सोचा ना था कि बनेंगे अभिनेता
बेहतरीन अदाकारी से खलनायकी के अलग-अलग तेवरों के जरिए दर्शकों में दहशत की सिहरन भर देने वाले सदी के खलनायक प्राण ने अभिनेता बनने के बारे में ख्वाब में भी नहीं सोचा था. वह तो मैट्रिक का इम्तिहान पास करने के बाद स्टिल फोटोग्राफर बनने का सपना लिए हुए दिल्ली में फोटोग्राफी सीखने में मशगूल थे. उसी दौरान कंपनी ने लाहौर में अपना कार्यालय खोला तो प्राण को वहां भेजा गया. एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात कहानीकार वली मोहम्मद से हुई. वली मोहम्मद ने प्राण से कहा कि हम [यमला जट] नाम से एक पंजाबी फिल्म बना रहे हैं और उसमें एक चरित्र की भूमिका तुम पर पूरी तरह फिट बैठती है. पहले तो प्राण ने इस बात को हल्के में लिया लेकिन बाद में वली मोहम्मद के कहने पर फिल्म में बतौर खलनायक काम करना स्वीकार कर लिया. इसके बाद प्राण ने लगभग चार दशक तक खलनायकी की लंबी पारी खेली और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया.
प्राण की प्रमुख फिल्में
प्राण की चर्चित भूमिकाओं वाली फिल्में हैं बड़ी बहन (1949), आह (1953), बिराज बहू (1954), आजाद (1955), हलाकू (1956), मुनीमजी (1955), मधुमती (1958), छलिया (1960), जिस देश में गंगा बहती है (1967), हाफ टिकट (1962), कश्मीर की कली (1964), शहीद (1965), दो बदन (1966), राम और श्याम (1967), उपकार (1967), ब्रह्मचारी (1967), जानी मेरा नाम, (1970), अधिकार (1971), गुड्डी (1971), परिचय (1972), विक्टोरिया नम्बर 203 (1972), बाबी (1973), जंजीर(1973), मजबूर (1974), कसौटी(1974), अमर अकबर एंथनी (1977), डान (1978), कालिया (1981), शराबी (1984) आदि.
प्राण: हिन्दी सिनेमा का चमकदार सितारा
प्राण का नाम ऐसे अभिनेताओं में शामिल है.जो चरित्र के अनुसार अपने को ढाल लेते हैं. काम के लिए उनके जैसा जुनून और समर्पण आज के अभिनेताओं में दिखाई नहीं देता है. प्राण किसी भी चरित्र के लिए अभिनय करने से पहले उसकी पूरी तैयारी करते थे.
फिल्मों में प्राण का पसंदीदा तकिया कलाम होता था बरखुर्दार.. उनके कॅरियर के शिखर काल में कभी उन्हें फिल्म के नायक से भी ज्यादा भुगतान किया जाता था. डान फिल्म में काम करने के लिए उन्हें नायक अमिताभ बच्चन से ज्यादा रकम मिली थी.
प्राण को मिले पुरस्कार
प्राण को तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला है. पहली बार उपकार, दूसरी बार आंसू बन गए फूल और तीसरी बार बेईमान फिल्म के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया.
1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट का पुरस्कार मिला. आज भी कई समारोहों में प्राण अपना मौजूदगी दर्शाते नजर आ जाते हैं.
प्राण के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें :हिन्दी सिनेमा का एक तारा – प्राण
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