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Prasoon Joshi: इस बाजार में औरत की बोली लगती है

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एक क्रीम बेचने से लेकर फिल्म तक को सुपरहिट कराने के लिए औरत की जरूरत पड़ती है और इस बात में कोई दो राय नहीं है कि फिल्मी दुनिया एक ऐसी मार्केट है जहां औरत नाम का इस्तेमाल किया जाता है. हिन्दी सिनेमा के मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने फिल्मों में महिलाओं को एक वस्तु बनाकर निवेश की बात कही थी. गीतकार प्रसून जोशी विवादों के घेरे में फंस गए थे जब उन्होंने कहाकि कृष्ण ईव टीजर थे. अगर आज के जमाने से उनकी तुलना करें तो वे लड़कियोंसे छेड़छाड़ के दोषी पाए जाएंगे और मां के रिश्ते का महिमामंडन इतना ज्यादाकिया गया है कि इसने औरत से उसकी निजता ही छीन ली है.


prasoon joshiप्रसून जोशी के इस वाक्य को पढ़ने और सुनने के बाद यह कहा जाना गलत ना होगा कि प्रसून का नाम हिन्दी सिनेमा की उन शख्सियतों में से एक है जो हिन्दी सिनेमा की गंभीरता को समझते हैं और साथ ही सिनेमा में आए तमाम परिवर्तनों को सही तथा गलत दोनों नजरिए से देखते हैं.


तेरी आंखों का कैदी हूं, मोहब्बत काम है मेरा

बॉलीवुड सूत्रों के अनुसार एक बार जब प्रसून जोशी से पूछा गया था कि ‘क्या आप मानते हैं कि वर्तमान में लगातार रीमेक फिल्में बन रही हैं, क्या हिन्दी सिनेमा के लिए यह कहना सही होगा कि यहां अब अच्छे स्तर की कहानियों की कमी हो चुकी है? इस बात का जवाब प्रसून जोशी ने कुछ इस तरह दिया कि ‘हां, वो मानते हैं कि हिन्दी सिनेमा में उच्च स्तर की कहानियों की कमी हो चुकी है. इसका कारण यह है कि आजकल फिल्मी कहानियां सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित रह जा रही हैं. पिछले कुछ सालों में हालांकि कुछ एक फिल्मों ने गांव का रुख किया है लेकिन फिल्मों की मार्केटिंग को मद्देनजर रखते हुए अब भी फिल्में मेट्रो को या बड़े शहरों को ध्यान में रख कर बनाई जा रही हैं जिस कारण बेहतर और उच्च स्तर की फिल्मों को देखने का मौका कम ही मिलता है’.


प्रसून जोशी के बारे में पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि उन्हें केवल हिन्दी सिनेमा के गीतों की ही समझ नहीं है बल्कि फिल्मों का निर्देशन,  फिल्म की कहानी आदि कई बातों के बारे में गहराई से पता है.


विवादों में रहने वाले वित्त मंत्री


प्रसून जोशी का जन्म उतराखंड के अल्मोड़ा जिले में 16 सितम्बर, 1968 को हुआ था. प्रसून जोशी के पिता का नाम श्री देवेन्द्र कुमार जोशी और उनकी माता का नाम श्रीमती सुषमा जोशी है. प्रसून जोशी का बचपन एवं उनकी शिक्षा उत्तर प्रदेश में ही हुई थी क्योंकि उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में ‘शिक्षा निदेशक’ थे. प्रसून जोशी एक अच्छे लेखक हैं यह तो बहुत से लोग जानते हैं पर बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि ‘उस्ताद हफीज़ अहमद खान’ जी से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा भी प्रसून जोशी ले चुके हैं. उस्ताद हफीज अहमद खान जी शास्त्रीय संगीत के गुरु माने जाते हैं.


प्रसून जोशी को विज्ञापन जगत में विज्ञापन गुरु के नाम से भी जाना जाता है. ‘तारे जमीं पर’, ‘फ़ना’ और ‘रंग दे बसंती’ के गाने जो आज भी लोगों के दिल में बसते हैं उन गानों को लिखने वाले प्रसून जोशी ही हैं और अभी हाल ही में फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के जरिए प्रसून जोशी ने फिल्म लेखन कला की भी शुरुआत की और उनकी इस शुरुआत को दर्शकों ने दिल से अपनाया.


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