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बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता, निर्देशक, सामाजिक कार्यकर्ता और खिलाड़ी राहुल बोस का आज जन्मदिन है. अपनी अभिनय कला से सबका दिल जीतने वाले इस उस्ताद ने हमेशा से ही चर्चा में ना रहने के बावजूद भी लोगों की वाहवाही लूटी है. गुजरात में आया भूकंप हो या सुनामी की मार हर समय एक जिम्मेदार नागरिक के रुप में राहुल बोस ने देश की सेवा की है. अपनी फिल्मों से ज्यादा राहुल बोस अपने सामाजिक कार्यों के लिए चर्चा में रहते हैं.
राहुल बोस का जीवन – Life of Rahul Bose
राहुल बोस का जन्म 27 जुलाई, 1967 को हुआ था. उनके पिता का नाम रुपेन बोस (Rupen Bose) और मां का नाम कुमुद बोस (Kumud Bose) है. राहुल बोस का बचपन बंगाल, महाराष्ट्र और मुंबई में बीता है. मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन स्कूल (Cathedral and John Connon School) से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई अमेरिकी कॉलेजों में एडमिशन के लिए ट्राई किया पर हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद उन्होंने सिडेन्हम कॉलेज (Sydenham College) से ग्रेजुएशन प्राप्त की.
स्कूल के दिनों से ही उन्हें खेलों का बहुत शौक था. वह अपनी स्कूल के रग्बी टीम के सदस्य थे और साथ ही बॉक्सिंग में उन्होंने सिल्वर मेडल भी जीता था.
राहुल बोस का कॅरियर – Career of Rahul Bose
राहुल बोस ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक स्क्रिप्टराइटर के रुप में की थी. छह साल की उम्र में उन्होंने एक नाटक में बाल कलाकार का रोल भी किया था जिसका नाम था टॉम, द पाइपर’स सन (Tom, The Piper’s Son). राहुल बोस ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत बांग्ला फिल्मों से की थी. साल 1988 में उन्होंने बॉंम्बे बॉयज (Bombay Boys) में अभिनय किया था जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली. इसके बाद साल 2000 में देव बेनगल की “स्प्लिट वाइड ओपन”( Split Wide Open) में काम किया. इस फिल्म में अपने किरदार को समझने के लिए उन्होंने काफी समय मुंबई के झुग्गीवासियों के बीच बिताया. “स्प्लिट वाइड ओपन” के लिए राहुल बोस को सिंगापुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सिल्वर स्क्रीन अवार्ड फॉर बेस्ट एशियन एक्टर (Silver Screen Award for Best Asian Actor) का अवार्ड मिला था. साल 2000 में ही उनकी फिल्म “द जैपेनीज वाइफ” भी आई थी जिसने विदेशों में इस अभिनेता की लोकप्रियता को काफी बढ़ाया.
साल 2002 में राहुल बोस ने ‘मि. एंड मिसेज अय्यर’ के द्वारा हिन्दी फिल्मों में कदम रखा. फिल्म भारत में ज्यादा सफल नहीं रही पर विदेशों में फिल्म को बहुत सराहा गया. लेकिन साल 2003 में आई “झंकार बीट्स” ने राहुल बोस को हिन्दी सिनेमा का भी बहुत लोकप्रिय सितारा बना दिया. हिन्दी फिल्मों में राहुल बोस की “प्यार के साइड इफेक्ट” और “चमेली” बहुत ही कामयाब फिल्में रही हैं. इसके साथ उन्होंने “शौर्य”, “चेन कुली की मेन कुली”, “मान गए मुगल-ए-आजम”,“ दिल कबड्डी”,“ कुछ लव जैसा” जैसी कई फिल्मों में काम किया है.
राहुल बोस का सामाजिक जीवन – Social Life of Rahul Bose
राहुल बोस को लोग उनकी लगन और निष्ठा के लिए जानते हैं. शूटिंग पर समय से पहुंचना और अपने किरदार में घुस कर रोल को निभाना उनकी खासियत है. इसके साथ ही वह हमेशा अपने सामाजिक कार्यों के लिए चर्चा में रहते हैं. 2005 में मुंबई में आई बाढ़ और मुंबई पर आतंकी हमलों के दौरान उन्होंने लोगों की बहुत मदद की थी. एक अभिनेता किस तरह अपना समय आम जनता के हितों के लिए निकाल सकता है इसका एक आदर्श उदाहरण राहुल बोस हैं.
आज बॉलिवुड और समाज में ऐसे अभिनेता बहुत कम हैं जो बड़े सितारे होते हुए भी जमीन पर ही रहना पसंद करते हैं.
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