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हिन्दी सिनेमा जगत के स्वर्णिम युग में ऐसे कई महान कलाकार हुए जिन्होंने सिनेमा जगत को खुशी के कई पल दिए. इन्हीं बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं राजेन्द्र कुमार. अभिनेता राजेन्द्र कुमार की आज पुण्यतिथि है. दिलीप कुमार जब अभिनय के सरदार और ट्रेजडी किंग थे तो राजेन्द्र कुमार जुबली स्टार. राजेन्द्र कुमार का अभिनय की दुनिया में एक अलग ही मुकाम है.
बॉलिवुड की स्वर्णिम तिकड़ी
दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर की तिकड़ी के दौर में राजेंद्र कुमार एक ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने न सिर्फ अपना अलग मुकाम बनाया बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी कामयाबी की नई इबारत लिखी. जुबली कुमार के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार बॉक्स ऑफिस की नब्ज को बखूबी समझते थे. उन्हें पता होता था कि दर्शकों को किस तरह की फिल्म पसंद आएगी और किस तरह की फिल्म उन्हें पसंद नहीं आएगी.
Rajendra kumar Biography: राजेन्द्र कुमार की प्रोफाइल
राजेन्द्र कुमार का जन्म 20 जुलाई, 1929 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था. उनकी शक्ल-सूरत बेशक खास नहीं थी लेकिन उनका दृढ़-संकल्प ही था कि उन्होंने फिल्म जगत में बिना किसी बाहरी मदद के सफलता हासिल की.
यह उनकी खुशनसीबी के साथ-साथ काबिलियत भी थी कि उन्हें पहली ही फिल्म में हिंदी सिनेमा के पहले महानायक दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला. फिल्म का नाम “जोगन” था. इसमें उनके साथ नरगिस भी थीं, जो कई वर्षों बाद कुमार की समधन बनीं.
Rajendra kumar ‘s movies: राजेन्द्र कुमार की फिल्में
राजेन्द्र कुमार ने 1950 और 60 के दशक में कई हिट फिल्में दी. इनमें धूल का फूल, मेरे महबूब, संगम और आरजू प्रमुख रहीं. राजेन्द्र कुमार को फिल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में तीन बार नामांकन मिला, हालांकि उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिल पाया क्योंकि वह दौर कई महान अभिनेताओं का था, जो कुछ मामलों में उनसे बीस नजर आए. मसलन दिलीप कुमार ट्रेजडी किंग थे तो देवानांद रोमांस के किंग थे.
लेकिन राजेन्द्र कुमार को जनता ने हमेशा अपना पुरस्कार और सम्मान दिया. उनकी फिल्मों को इस कदर कामयाबी मिली कि उन्हें जुबली कुमार का नाम दिया गया. इस सफलता के बावजूद कुमार के पांव हमेशा जमीन पर रहे. वह निजी जिंदगी में बहुत ही सुलझे हुए इंसान थे.
नब्ज की थी समझ
राजेन्द्र कुमार के बारे में एक बात बहुत प्रसिद्ध है कि वह अपनी फिल्मों का चयन बड़ी सावधानी से करते थे और शायद यही वजह थी कि उनकी अधिकतर फिल्में सफल होती थीं.
एक्टिंग के बाद प्रोडक्शन
कुमार ने 1980 के दशक में अपने बेटे कुमार गौरव को फिल्म लव स्टोरी से अभिनय की दुनिया में उतारा. यह फिल्म काफी सफल रही, लेकिन कुमार गौरव लंबे समय तक कामयाबी को कायम नहीं रख सके.
कुमार को वर्ष 1969 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. जीवन के आखिरी दिनों में वह कैंसर की चपेट में आ गए. 12 जुलाई, 1999 को उनका निधन हो गया.
आज हमारे बीच बॉलिवुड के स्वर्णिम युग के कई कलाकार नहीं हैं. देवानंद, शम्मी कपूर, जगजीत सिंह, राजेश खन्ना सरीखे अभिनेता हमारे बीच नहीं रहे. राजेन्द्र कुमार भी इस दुनिया को बहुत पहले छोड़ गए थे. आज बॉलिवुड में पैसे का बोल बाला है. लेकिन उस युग की सफलता और कहानी को कभी नहीं दुहराया जा सकता जब लोग फिल्मों की टिकटों के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते थे और उस दौर के अभिनेता अपनी फिल्मों में अपना शत-प्रतिशत लगाने के लिए कर्तव्यबद्ध रहते थे.
बॉलिवुड का स्वर्णिम युग
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