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चॉकलेटी बॉय के रूप में देखे जाने वाले अभिनेता ऋषि कपूर हमेशा से ही अपने चाहने वालों के दिल पर राज करते रहे हैं. ‘मैं शायर तो नहीं मगर दिल नशीं जब से देखा मैंने तुझको, मुझको शायरी आ गई’ आज भी लोग इस गाने को सुनते समय अपने चॉकलेटी बॉय को याद करते हैं.
ऋषि कपूर का जन्म कपूर खानदान में होने के नाते यह तय था कि राजकपूर के मझले साहबजादे ऋषि उर्फ चिंटू फिल्मों में ही अपनी तकदीर आजमाएंगे. पहले-पहल राज साहब ने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म “मेरा नाम जोकर” में ऋषि कपूर को पेश किया. अपने ही द्वारा निभाए गए हीरो के गोल-मटोल किशोर रूप में बचपन की दहलीज लांघकर जवानी की ओर बढ़ रहे राजू के रोल में ऋषि दर्शकों के दिल में जगह बना गए. 1973 में आई “बॉबी” ने ऋषि और डिम्पल को रातों-रात स्टार बना दिया.
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ऋषि कपूर – एक परिचय [Rishi Kapoor profile]
ऋषि कपूर का जन्म 4 सितम्बर, 1954 को मुम्बई में राज कपूर के घराने में हुआ. तीन भाइयों में ऋषि कपूर मझले भाई हैं उनसे पहले रणधीर कपूर और बाद में राजीव कपूर हैं. नीतू और ऋषि की सगाई 1979 के शुरू में हुई थी. ऋषि कपूर और नीतू सिंह की एक बेटी और एक बेटा है. उनकी बेटी का नाम रिधीमा कपूर और बेटे का नाम रणबीर कपूर है.
ऋषि कपूर का फिल्मों का सफर [Rishi Kapoor filmography]
1973 में आई “बॉबी” फिल्म की रिकॉर्ड-तोड़ कामयाबी के बाद ऋषि के सामने चुनौती थी दर्शकों की गगनचुंबी हो चुकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की. अपने चॉकलेटी चेहरे और “बॉबी” वाले रोमांटिक रोल की बदौलत उन्होंने प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग खड़ा कर लिया था, लेकिन इस दर्शक समूह को बनाए रखना मुश्किल भरा था.
“बॉबी” के बाद 1975 में आई “खेल-खेल में” ऋषि के खाते में दर्ज बड़ी सफलता थी. इस रोमांटिक-म्यूजिकल-सस्पेंस फिल्म ने ऋषि के कॅरियर को पुनः गति दी. “हम किसी से कम नहीं” ने एक बार फिर रोमांटिक म्यूजिकल फिल्म में ऋषि की बादशाहत सिद्ध की, तो “अमर अकबर एंथोनी” ने उन्हें मल्टी हीरो फिल्म में कॉमेडी और रोमांस के तड़के के लिए मुफीद पाया. “दूसरा आदमी” में उन्होंने उम्र में अपने से बड़ी स्त्री के प्रति आकर्षित विवाहित पुरुष की जटिल भूमिका की.
“सरगम” और “कर्ज” जैसी हिट फिल्में देने के बाद 1982 में वे एक बार फिर अपने पिता के निर्देशन में “प्रेम रोग” में नजर आए. 1985 में वे एक बार फिर अपनी पहली को-स्टार डिम्पल के साथ “सागर” में आए और दोनों की केमिस्ट्री देखते ही बनती थी. “नगीना”, “चाँदनी”, “हिना”, “बोल राधा बोल”, “दीवाना”, “दामिनी” आदि से होते हुए वे नब्बे के दशक तक हीरो की पारी खेलते रहे.
नई सदी में “हम-तुम”, “फना”, “नमस्ते लंदन” जैसी फिल्मों में वे पिता की भूमिका में आने लगे. “लक बाय चान्स” में उन्होंने हैरान-परेशान फिल्म प्रोड्यूसर के रोल में गुदगुदाया, तो “लव आजकल” में अपने पहले प्यार को याद कर रहे बुजुर्ग सिख की भूमिका में यादगार अभिनय कर अपनी धाक जमाई. यह उनकी अभिनय क्षमता का ही प्रमाण है कि कभी रोमांटिक चॉकलेटी हीरो कहे जाने वाले ऋषि आज बुजुर्ग चरित्र भूमिकाओं में भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
ऋषि कपूर के नाम अवार्ड [ Rishi Kapoor awards list of movies]
ऋषि ने मेरा नाम जोकर में बालक राजू का रोल करके उस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का फिल्मफेयर अवार्ड जीता था. ऋषि कपूर को 1974 में फिल्म बॉबी के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला था. 2008 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था. ऋषि कपूर को 2011 में दो दुनी चार के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला था. ‘प्रेम रोग’ जैसी हिट फिल्म के लिए ऋषि कपूर फिल्मफेयर अवार्ड के लिए भी नॉमिनेटेड हुए थे.
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