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फिल्मी दुनिया में एक कहावत है “जो डर गया वो मर गया.” यह कहावत उन सितारों पर तो बिलकुल सटीक बैठती है जो शुरुआती असफलताओ से बिना घबराए अपने कॅरियर को जारी रखते हैं और बाद में सफल हो जाते हैं. ऐसे ही एक कलाकार हैं बॉलिवुड के चौथे खान, नवाब खान सैफ अली खान.
लोकप्रियता, अभिनय प्रतिभा और आकर्षक व्यक्तित्व के साथ सैफ अली खान हिन्दी फिल्मों में खान उपनाम की बादशाहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
सैफ अली खान का जन्म 16 अगस्त, 1970 को पटौदी के नवाबों के घर हुआ था. उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी (Mansoor Ali Khan Pataudi) भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पटौदी के नवाब रह चुके हैं. सैफ अली खान की मां शर्मिला टैगोर हिन्दी फिल्मों की मुख्य अभिनेत्री रही हैं और इस समय फिल्म सेंसर बोर्ड में अधिकारी हैं. सैफ अली खान की बहन सोहा अली खान भी हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री हैं. उनकी दूसरी बहन साबा अली खान हैं.
एक संपन्न परिवार में पले-बढ़े सैफ अली खान का बचपन नवाबों की तरह बीता. लॉरेंस स्कूल सानावार (Lawrence School Sanawar) से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सैफ अली खान ने यूके के विंचेस्टर कॉलेज (Winchester College) से अपनी पढ़ाई पूरी की जिससे उनके पिता ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की थी.
सैफ ने फिल्म ‘परंपरा (1992) से बतौर अभिनेता अपने कॅरियर की शुरुआत की, लेकिन यह फिल्म कोई खास कमाल नहीं कर सकी. लेकिन इसके बाद आई फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट मेल डेब्यू अवार्ड मिला. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की पर कोई सफल नहीं हो सकी. ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘यह दिल्लगी’, ‘कच्चे धागे’, ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में तो उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया पर एक अभिनेता के तौर पर वह अकेले किसी फिल्म को सफल नहीं करा सके.
फिल्म ‘आशिक आवारा’ से लेकर फरहान अख्तर की ‘दिल चाहता है’ तक सैफ ने दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया, पर खुद को समकालीन अभिनेताओं की तुलना में साबित नहीं कर पाए थे. ऐसा नहीं है कि इस दौरान उनकी फिल्मों को सफलता हासिल नहीं हुई हो या उनके अभिनय की सराहना नहीं की गयी हो. ऐसे में ‘दिल चाहता है’ सैफ के कॅरियर में यू टर्न लेकर आयी. आमिर खान, अक्षय खन्ना जैसे प्रतिभावान सितारों की मौजूदगी में भी सैफ अपनी बेहतरीन संवाद अदायगी और हाजिरजवाबी से दर्शकों को आकर्षित करने में सफल रहे. उसके बाद सैफ का कैरियर सफलता के कई सोपानों से गुजरता हुआ आज ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहां उनकी गिनती हिन्दी फिल्मों के मौजूदा टॉप पांच अभिनेताओं में होती है.
‘दिल चाहता है’ के बाद सैफ अली खान ने ‘कल हो ना हो’, ‘हम-तुम’, ‘सलाम-नमस्ते’, ‘एक हसीना थी’ और ‘परिणिता’ जैसी फिल्मों में काम किया. “हम तुम” में पहली बार सैफ अली खान ने अकेले अभिनय करते हुए फिल्म को हिट करवाया. इस फिल्म के लिए सैफ को पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला. इस फिल्म के लिए सैफ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.
साल 2007 में आई फिल्म “ओंकारा” के लिए भी सैफ अली खान को सर्वश्रेष्ठ विलेन का फिल्मफेयर अवार्ड मिला.
सैफ ने फिल्म युवा डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म ‘लव आजकल’ (2009) से बतौर निर्माता शुरूआत की. इस फिल्म में वह खुद अभिनेता रहे. यह फिल्म एक हिट साबित हुई और अब वह श्रीराम राघवन की ‘एजेंट विनोद’ के भी प्रोड्यूसर हैं.
हाल ही में सैफ अली खान की फिल्म “आरक्षण” भी रिलीज हुई है जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया है.
सैफ अली खान की उपलब्धियां
एक ओर जहां सैफ का फिल्मी कॅरियर अपनी राह पकड़ चुका है वहीं आए दिन उनका सामना व्यक्तिगत जीवन के उतार-चढ़ावों से भी होता रहा है. सैफ अली खान ने अभिनेत्री अमृता राव से 1991 में शादी की थी. लेकिन 13 साल बाद 2004 में उन्होंने तलाक ले लिया. अमृता से सैफ के दो बच्चे हैं इब्राहिम अली खान और सारा अली खान. पत्नी अमृता सिंह से तलाक के कुछ दिनों बाद ही पूर्व प्रेमिका रोजा से संबंध विच्छेद की वजह से सैफ भावनात्मक रूप से बेहद आहत हुए थे लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया.
हाल के सालों में करीना और सैफ अली खान के प्रेम के चर्चे बहुत आम हैं. दोनों ने एक-दूसरे के प्यार को स्वीकार भी किया है. अवार्ड शो और पार्टी में दोनों की मौजूदगी दोनों के रिश्ते की पुष्टि करती है. हालात अब यह हैं कि मियां सैफ ने अपने हाथ पर करीना का नाम गुदवा रखा है वहीं करीना उनके बिना किसी शो या पार्टी में जाती ही नहीं. रही बात शादी की तो दोनों तैयार हैं बस अच्छे दिन का इंतजार है.
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