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शीला दीक्षित: इस बार आसान नहीं है सत्ता पर काबिज होना

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sheila dixitभले ही देश की राजधानी दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों और फ्लाईओवरों की वजह से भारत में एक अलग पहचान रखती है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यही दिल्ली महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भी पूरे देशभर में बदनाम है. दिल्ली पुलिस और स्थानीय सरकार द्वारा अपनी तरफ से पर्याप्त कोशिश करने के बावजूद भी प्रदेश में बलात्कार जैसी घटनाए थम नहीं रही हैं.


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स्मारकों के शहर दिल्ली में न केवल महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हैं बल्कि वह आम व्यक्ति भी प्रदेश में हो रही लगातार आपराधिक घटनाओं से घबराया रहता है जिसे हर पल अपनी ही जान को लेकर खतरा रहता है और शायद यही मुद्दा आने वाले विधानसभा चुनाव में छाया रहेगा. वैसे यहां की सरकार की मुखिया शीला दीक्षित ऐसे सभी जटिल मुद्दों को निपटाने में माहिर मानी जाती हैं. तभी तो आज लगभग 15 सालों से शीला दीक्षित दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं.


शीला दीक्षित का जीवन परिचय

लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीत कर देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने वाली शीला दीक्षित का जन्म ब्रिटिश शासन काल में 21 मार्च, 1938 को कपूरथला, पंजाब में हुआ था. शीला दीक्षित की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में ही संपन्न हुई. इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कॉंवेंट ऑफ जीसस एण्ड मैरी से प्राप्त की. इसके बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाऊस कॉलेज से कला में स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण कर वहीं से पीएचडी की उपाधि ग्रहण की. शीला दीक्षित का विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे श्री उमा शंकर दीक्षित के परिवार में हुआ. इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित, भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रह चुके थे.


शीला दीक्षित का व्यक्तित्व

इतने वर्षों के अनुभव के बाद शीला दीक्षित राजनीति के दांव-पेंच बहुत अच्छी तरह समझ चुकी हैं. एक बेहद कुशल राजनेत्री होने के साथ ही शीला दीक्षित कला प्रेमी भी हैं. शीला व्यक्तिगत जीवन में आत्म-निर्भर और आत्मविश्वासी महिला हैं. लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद पर जीत दर्ज करना स्वयं अपने आप में एक रिकॉर्ड है, जिससे यह साफ प्रमाणित होता है कि शीला दीक्षित के व्यक्तित्व में बेजोड़ नेतृत्व क्षमता है.

आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए शीला दीक्षित के सामने कई चुनौतियां हैं जैसे देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा, आए दिन प्रदेश में बढ़ रहे हत्या और अपराध, बिजली-पानी के बिलों में लगातार बढ़ोत्तरी, खाने पीने की जरूरी चीजों की कीमतों का आसमान छूना आदि. इसके अलावा शीला दीक्षित की सरकार के सामने विपक्ष के तीखे हमलों से भी बचना होगा. वैसे हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस बार शीला दीक्षित को चुनौती देने में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी मैदान में है जो भले ही सरकार न बनाए लेकिन वोट काटने का काम जरूरी करेगी.


शीला दीक्षित, विधानसभा चुनाव, दिल्ली सरकार.

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