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भगवान शंकर को “भोलेनाथ” की उपाधि इसी कारण मिली कि वह स्वभाव से बेहद भोले हैं. यूं तो शंकर जी को रूद्र देवता के रूप में जाना जाता है जो अगर एक बार गुस्सा हो जाएं तो प्रलय आ जाता है लेकिन यह शंकर जी का ही रूप है जो मात्र जल और बेलपत्र से प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. क्या सुर क्या असुर भगवान शिव सभी की नैया पार लगाते हैं. आज सावन का पहला सोमवार है.
Lord Shiva: भगवान शिव को प्यारा सावन का महीना
सावन और शिव का भारतीय संस्कृति से गहरा मेल है. सावन के आते ही शिव भक्तों में पूजा अर्चना के लिए नई उमंग का संचार हो जाता है. शास्त्रों और पुराणों का कहना है कि श्रावण मास भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है. इस माह में शिव अर्चना के लिए प्रमुख सामग्री बेलपत्र और धतूरा सहज सुलभ हो जाता है.
भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा-अर्चना के लिए सामग्री को लेकर किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती. अगर कोई सामग्री उपलब्ध न हो तो जल ही काफी है. भक्ति भाव के साथ जल अर्पित कीजिए और भगवान शिव प्रसन्न.
Methods of Shiva Puja : जल चढ़ाओ और जो चाहे मांग लो
सावन मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है. सोमवार शंकर जी का प्रिय दिन है. इसलिए श्रावण सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस महीने प्रत्येक सोमवार भगवान शिव का व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ करके प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत करना चाहिए.
Shiv pujan vidhi : सावन व्रत विधि
श्रावण मास में आने वाले सोमवार के दिनों में भगवान शिवजी का व्रत करना चाहिए और व्रत करने के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए. पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल,गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है.
शिव पूजन में बेलपत्र प्रयोग करना जरूरी
भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना बिना कहे ही पूरी करते है. बेलपत्र के बारे में यह मान्यता प्रसिद्ध है कि बेल के पेड़ को जो भक्त पानी या गंगाजल से सींचता है, उसे समस्त तीर्थों की प्राप्ति होती है. वह भक्त इस लोक में सुख भोगकर, शिवलोक में प्रस्थान करता है.
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