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बॉलीवुड में शोमैन की चर्चा होती है तो नाम प्रसिद्ध अभिनेता राज कपूर का लिया जाता है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि हिंदी सिनेमा में एक और शोमैन है जो अपनी ही निर्देशित फिल्मों में एक छोटी भूमिका में दिखाई देता है. यहां बात हो रही है जाने माने निर्देशक सुभाष घई की.
सुभाष घई का जन्म 24 जनवरी, 1945 को महाराष्ट्र के नागपुर में एक डेंटिस्ट परिवार में हुआ. घई की शिक्षा दिल्ली से महज कुछ ही दूरी पर स्थित हरियाणा के रोहतक में हुई. रोहतक से स्नातक की डिग्री लेने के बाद घई 20-21 साल की उम्र में पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट चले गए. वहां उन्होंने निर्देशन का काम सीखा. हालांकि शुरुआत में वह फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए पुणे इंस्टीट्यूट आए थे. उस दौरान सुभाष घई कहानियां भी लिखते थे. कई बड़े निमाता-निर्देशक उनकी कहानियों को पसंद भी करते थे, तब उन्हें कहानियों की अच्छी कीमत भी मिलती थी.
सुभाष घई का कॅरियर
सुभाष घई ने अपने कॅरियर की शुरुआत अभिनेता के रूप में की. फिल्म ‘तकदीर’ और ‘आराधना’ में उनकी छोटी सी भूमिका है. बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘कालीचरण’ थी जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
हिंदी सिनेमा में 80 का दशक सुभाष घई का माना जाता है. इस दशक में उनकी अधिकतर फिल्में सुपरहिट रहीं. इनमें ‘विधाता’, ‘कर्मा’, ‘हीरो’, ‘मेरी जंग’ और ‘राम लखन’ शामिल थीं. इस दौरान घई ने दिलीप कुमार जैसे बड़े अभिनेता के साथ भी काम किया.
जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर का कॅरियर संवारा
आज अनिल कपूर एक बड़े अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं इसके पीछे कहीं न कहीं सुभाष घई की भूमिका है. उन्होंने न केवल अनिल कपूर का बल्कि जैकी श्रॉफ का फिल्मी कॅरियर मजबूत किया. जैकी ने ‘हीरो’ (1983) तथा अनिल ने ‘मेरी जंग’ (1985) में उनके साथ काम किया. अनिल, जैकी और सुभाष ने ‘कर्मा’, ‘राम लखन’ और ‘त्रिमूर्ति’ में भी साथ काम किया है.
सुभाष घई ने 1997 में ‘परदेस’ और 1999 में ‘ताल’ का भी निर्देशन किया. दोनों ही फिल्में बेहद ही पसंद की गईं. फिल्म ‘परदेस’ में सुभाष घई ने ना सिर्फ महिमा चौधरी को बॉलिवुड में ब्रेक दिलवाया बल्कि उनक नाम रितु चौधरी से बदलकर महिमा चौधरी भी कर दिया. बतौर प्रोड्यूसर भी सुभाष घई ने ‘जॉगर्स पार्क’, ‘एतराज’, ‘इक़बाल’, ‘36 चाइना टाउन’, ‘शादी से पहले’, ‘अपना सपना मनी मनी’ और ‘गुड बॉय बैड बॉय’ जैसी फिल्में भी बनाई है.
बॉलीवुड के दूसरे शो मैन कहे जाने वाले निर्देशक सुभाष घई अपनी फिल्मों के लिए ऐसी अभिनेत्रियों का चुनाव करते हैं जिनका नाम ‘एम’ से शुरू होता है. फिल्म हीरो से मीनाक्षी शेषाद्री, राम लखन से माधुरी दीक्षित, सौदागर से मनीषा कोईराला और परदेश से महिमा चौधरी ने बॉलीवुड में ऐसा धमाल मचाया जो हर किसी के बस में नहीं होता. केवल महिमा चौधरी को छोड़कर तीनों ही अभिनेत्रियों ने बॉलीवुड में राज किया है. इन सब की सफलता के पीछे केवल सुभाष घई की मेहनत है.
सुभाष घई और रीना गोलन विवाद
सुभाष घई और रीना गोलन: न्यूयॉर्क में रहने वाली भारतीय मूल की रीना गोलन के अनुसार जब वह हिरोइन बनने का सपना लेकर भारत आईं तो उन्हें प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने कास्टिंग काउच का ऑफर दिया था. रीना ने अपनी आत्मकथा ‘डियर मिस्टर बॉलीवुड: हाऊ आई फेल इन लव विथ इण्डिया, बॉलीवुड एण्ड शाहरुख खान‘ में यह खुलासा किया है कि सुभाष घई, अनूप जलोटा, और अनीस बज्मी जैसे बॉलिवुड की चर्चित शख्सियतों ने उन्हें काम दिलवाने के एवज में कास्टिंग काउच के लिए एप्रोच किया था.
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घई का जमीन विवाद
साल 2000 में सुभाष घई को महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार ने 20 एकड़ जमीन आवंटित की थी. कहा जाता है कि तात्कालीक मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने अपने अभिनेता बेटे रितेश देशमुख को फिल्म उद्योग में स्थापित करने की नियत से सुभाष घई को कम कीमत पर जमीन दी थी.
2012 में अदालत ने कुल 20 एकड़ जमीन में से 14.5 एकड़ जमीन को फौरन वापस करने के आदेश दिए थे जबकि बाकी साढ़े पांच एकड़ जमीन जिस पर इस समय फिल्म इंस्टीट्यूट बना हुआ है उसको जुलाई 2014 तक राज्य सरकार को वापस करने के लिए कहा था.
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