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सुनील दत्त – आम हिन्दुस्तानी की झलक (Sunil Dutt’s Biography)

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सुनील दत्त (Sunil Dutt) भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) में एक ऐसे अभिनेता थे, जिनको परदे पर देख एक  आम हिन्दुस्तानी अपनी जिंदगी की झलक देखता है. इसके अलावा वह एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ (Famous Politician) भी थे. वे 2004-05 के दौरान मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) सरकार में युवा मामलों और खेल विभाग में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) रहे.


sunil dutt imageदत्त साहब का वास्तविक नाम बलराज रघुनाथ दत्त (Balraj Raghunath Dutt) था. सिनेमा (Cinema) जगत में सुनील दत्त को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म निर्माण (Film Production), निर्देशन (Direction) और अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों  का भरपूर मनोरंजन (Entertainment) किया. उनके किरदार वास्तविक जीवन के बहुत करीब होते थे और उनका व्यक्तित्व (Personality) भी उनके किरदार की तरह उज्जवल और प्रभावशाली रहा. सुनील दत्त (Sunil Dutt) का जन्म 6 जून, 1929 को, स्वतंत्रता-पूर्व के भारत के पंजाब (Punjab)  राज्य के झेलम (Jhelum) जिले के खुर्दी नामक गांव में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान (Pakistan) में है. बंटवारे के दौरान उनका परिवार भारत आ गया. सुनील ने मुंबई (Mumbai) के जय हिंद कालेज (Jai Hind College) में दाखिला लिया और साथ ही नौकरी भी करने लगे. सुनील दत्त ने रेडियो सिलोन की हिन्दी सेवा के उद्घोषक (Anouncer) के तौर पर अपना करियर (Career) शुरु किया था. उन्होंने रेलवे प्लेटफार्म (1955) से फिल्मी दुनिया में कदम रखा और मदर इंडिया (1957) से सफलता की बुलंदियों पर पहुंच गए.


मदर इंडिया (Mother India)फिल्म ने उनके करियर को और इसके सेट पर हुई एक घटना ने उनके जीवन  को महत्वपूर्ण मोड़ दिया. फिल्म में मां की भूमिका निभाने वाली नरगिस (Nargis) उनकी जीवन संगिनी बन गई. सुनील दत्त (Sunil Dutt) भारतीय सिनेमा के उन अभिनेताओं में से एक हैं जिनकी फ़िल्मों ने पचास और साथ के दशक में दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी. ‘मदर इंडिया’ (Mother India) की सफलता के बाद उन्हें साधना, सुजाता’ ,मुझे जीने दो’ ,खानदान’ ,पड़ोसन, जैसी सफल फ़िल्मों से भारतीय दर्शको के बीच एक सफल अभिनेता (Actor) के रूप में पहचान मिली. सुनील दत्त की निर्देशक(Direction) बी. आर.  चोपड़ा के साथ ‘गुमराह’ (1963), ‘वक़्त’ (1965 ) और ‘हमराज’ (1967) जैसी फ़िल्मों में निभाई गई  यादगार भूमिकाओं ने भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय किया.


सुनील दत्त का पारिवारिक जीवन (Familial Life) बड़ा उथल पुथल भरा रहा था. पहले तो कैंसर (Cancer) ने उनसे नरगिस (Nargis) को छीन लिया फिर उनका बेटा गलत कामों में फंस गया. इतनी परीक्षाओं के बावजूद भी दत्त साहब के दूसरों के प्रति सद्भाव और समर्पण  (Commitment) की भावना में जरा भी अंतर नहीं आया.


25 मई, 2005 को मुंबई (Mumbai) में, दिल का दौरा (Heart Attack) पढ़ने से दत्त साहब की मृत्यु हो गई. उनके जीवन की अंतिम फिल्म थी,  मुन्नाभाई एमबीबीएस (Munna bhai MBBS). इस फिल्म के माध्यम से पहली बार पिता पुत्र (सुनील दत्त और संजय दत्त) एक साथ पर्दे पर (Sunil Dutt and Sanjay Dutt) नजर आए थे. हालांकि फिल्म क्षेत्रीय और राकी में भी सीनियर और जूनियर दत्त ने साथ काम किया मगर एक भी दृश्य में वे साथ में नहीं थे. सुनील दत्त (Sunil Dutt) की लोकप्रियता आज भी इतनी है कि मौत के बाद भी दर्शक उन्हें पर्दे पर देखकर खिल जाते हैं.


भले ही बेटे संजय दत्त (Sanjay Dutt) पर अनेक आरोप लगे जो आज तक जारी हैं पर दत्त साहब का दामन हमेशा पाक साफ रहा. शांति, सद्भाव और एकता कायम रखने की कोशिशों के चलते उन्हें कई राष्ट्रीय (National) और अंतरराष्ट्रीय (International) पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इसमें पदम श्री (Padam Shree) पुरस्कार भी शामिल है.


सुनील दत्त की ज्योतिषीय विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें.


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