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सफलता ऐसी होनी चाहिए जिसमें मिलावट ना हो. आज हर तरफ मिलावट का दौर है. मिलावट के इस दौर में फिल्म जगत भी इससे अछूता नहीं है. आज यहां कहानी से लेकर किरदार तक सबमें मिलावट और चोरी होती है लेकिन इसके बावजूद भी कई सितारे और फिल्मकार ऐसे हैं जो अपनी साफ छवि के कारण दर्शकों के दिलों में एक अलग जगह बनाकर बैठे हैं. हिन्दी फिल्मों में ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं तब्बू.
तब्बू एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्हें शुरू में लंबे कद के कारण कई फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में लेने से मना कर दिया पर जब उनका जादू चला तो उनकी मांग सबसे ज्यादा हो गई. एक वक्त ऐसा था जब तब्बू को निर्विवाद रूप से सबसे बेहतरीन अभिनेत्री माना जाता था. मकबूल, चांदनी बार और माचिस जैसी फिल्मों में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उन्हें आज भी सबसे उम्दा अभिनेत्री माना जाता है जो अपने किरदार को ना सिर्फ पर्दे पर जीवंत करती हैं बल्कि उसमें खुद ढल भी जाती हैं.
तब्बू की प्रोफाइल
तब्बू का पूरा नाम तबस्सुम हाशमी है. उनके पिता का नाम जमाल हाशमी और मां का नाम रिजवाना है. 04 नवंबर, 1970 को जन्मी तब्बू की पढ़ाई हैदराबाद के सेंट एन्स हाई स्कूल से और स्नातक की शिक्षा मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पूरी हुई.
तब्बू का कॅरियर
तब्बू के फिल्मी कॅरियर की शुरुआत बहुत दिलचस्प अंदाज में और बहुत छोटी उम्र में हुई. साल 1985 में देव आनंद ने अपनी फिल्म” हम नौजवां” में उन्हें छोटा-सा रोल दिया. उस समय वह मात्र पन्द्रह साल की थीं.
इसके बाद अभिनेत्री के तौर पर उन्होंने पहली बार तेलगु फिल्म “कुली नंबर वन” में काम किया. हिन्दी फिल्मों में उन्हें हीरोइन के रूप में लॉन्च करने की जिम्मेदारी निर्माता बोनी कपूर ने ली और साल 1987 में फिल्म “प्रेम” में उन्होंने तब्बू और अपने छोटे भाई संजय कपूर की जोड़ी लॉन्च की. प्रेम को पहले शेखर कपूर डायरेक्ट करने वाले थे, लेकिन बाद में शेखर की जगह निर्देशन की कमान सतीश कौशिक ने संभाली और इस फिल्म को बनने में पांच साल का वक्त लग गया. इसी बीच तब्बू ने कुछ और फिल्में साइन कर ली.
हम नौजवां के बाद हिंदी फिल्मों में हीरोइन के रूप में उनके अभिनय कॅरियर की शुरुआत हुई “विजयपथ” से. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1996 में उन्होंने आठ फिल्में की जिसमें साजन चले ससुराल और जीत सुपरहिट रहीं.
गुलजार की फिल्म “माचिस” तब्बू के कॅरियर के लिए एक नया मोड़ साबित हुई और उन्हें संवेदनशील एक्ट्रेस के रूप में नई पहचान मिली. इस फिल्म में उनके बेहतरीन अभिनय की वजह से उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया. उन्होंने माचिस के अलावा, प्रियदर्शन की “कालापानी”, “विरासत”, “दरमियां”, “अस्तित्व” और “मकबूल” में भी अभिनय किया है. इन सभी फिल्मों में उनकी छवि एक गंभीर अभिनेत्री की ही रही. मीरा नायर की “द नेमसेक” ने तब्बू को अभिनेत्री के रूप में वह मुकाम दे दिया, जिस पर हिंदी सिनेमा को भी गर्व रहेगा.
2001 में आई “चांदनी बार” में तब्बू का अभिनय बेमिसाल रहा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साल 2007 में आई फिल्म “चीनी कम” में उन्होंने अमिताभ बच्चन के अपोजिट काम किया.
बीवी नंबर वन, हम साथ साथ हैं, हेरा फेरी, चीनी कम, चाची 420 आदि उनकी अन्य सफल फिल्में हैं.
तब्बू को मिले पुरस्कार
तब्बू को कई बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें पहले फिल्म माचिस और फिर “चांदनी बार” के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया. इसके साथ ही अपने पहली फिल्म “विजयपथ” में बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. तब्बू को चार बार क्रिटिक्स अवार्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिल चुका है. उन्हें यह पुरस्कार फिल्म विरासत, हू तू तू, अस्तित्व, चीनी कम के लिए मिला.
इसके साथ उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड (साउथ) भी मिल चुका है. कधल देशम और निन्ने पेलादुथा में उन्होंने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया जिसके लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला.
तब्बू की लव लाइफ
इस बेजोड़ एक्ट्रेस की निजी जिंदगी में बहुत खुशी नहीं रही. कई वर्ष पहले निर्माता साजिद नाडियाडवाला से उनके रिश्तों की बात शादी तक पहुंच गई थी, लेकिन फिर मामला गड़बड़ हो गया. इसके बाद वे खुद को सिंगल कहती हैं और हर कोई चाहता है कि तब्बू का जल्दी ही घर बस जाए.
साल 1998 में फिल्म “हम साथ साथ हैं” के दौरान काले हिरण के शिकार के आरोप में तब्बू कोर्ट के चक्कर लगा चुकी हैं लेकिन उन्हें इस मामले में कोर्ट से राहत मिल गई है.
हालांकि आज तब्बू पर्दे से गायब दिखती हैं. कभी समय था जब तब्बू फिल्मों के चुनाव में अभिनेता आमिर खान से भी ज्यादा सख्त दिखती थीं और हमेशा चुनी हुई फिल्में ही करती थीं. उस समय वह कॉमर्शियल और आर्ट दोनों तरह की फिल्मों में हिट थीं. लेकिन उसके बाद तो जैसे तब्बू को सब भूल ही गए. अपने अच्छे समय में तब्बू पर कई बार अपने साथी कलाकारों से बुरा बर्ताव करने का आरोप लगा और यही वजह है कि उनके साथ काम करने वाले अधिकतर सितारे उनसे कम ही बात करते हैं. यह बाकी लोगों के लिए भी एक सीख है कि हमें अच्छे समय में भी अच्छा बना रहना चाहिए वरना बुरे समय में कोई हमारे साथ अच्छा बर्ताव करेगा यह सोच दिमाग से निकाल देनी चाहिए.
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