- 1020 Posts
- 2122 Comments
आज विश्व में आपसी कलह इतना अधिक हो चुका है कि वहां मानवीय मूल्यों की आहुति दी जा रही है. इसे नियंत्रित करने के लिए हर देश अपने स्तर पर काम कर रहे है लेकिन जिस अंतरराष्ट्रीय संस्थान संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना इन समस्याओं से पार पाने के लिए की गई थी वह आज असहाय दिखाई दे रहा है.
संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य विश्व में युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना है. संयुक्त राष्ट्र इनमें से अधिकतर उद्देश्यों पर सफलतापूर्वक काम कर रहा है लेकिन कई ऐसे मामले हैं जहां वह अभी भी प्रभावहीन दिखाई दे रहा है.
आज कितना प्रासंगिक है संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र को पश्चिमी देशों के हाथों की कठपुतली माना जाता रहा हैं. गिनती के 4-5 राष्ट्र पूरे विश्व के भाग्य को निर्धारित कर रहे हैं. सुरक्षा परिषद में कोई भी प्रस्ताव पास करना हो तो संपूर्ण विश्व को इनके उपर निर्भर रहना पड़ता है. ये राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने हित से संबंधित प्रस्ताव को पास करते हैं. कुछ साल पहले सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को ढाल बना कर अमेरिका ने लीबिया में गद्दाफी का सफाया कर दिया. उसी तरह वह सीरिया में भी बशर अल असद के काम को तमाम करना चाहता है. ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता कम होती जा रही है.
Read: शादी के लिए जो लड़कियां
संयुक्त राष्ट्र और भारत
भारत हमेशा से ही संयुक्त राष्ट्र का सक्रिय सदस्य रहा है. इसके स्थापना काल से ही भारत कई वैश्विक मुद्दों को उठाता रहा है. मानव विकास, आतंकवाद, भूखमरी या फिर परमाणु उर्जा का मामला हो भारत हमेशा से ही अपना पक्ष रखता आ रहा है. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन तथा मानवता के प्रति अपराध करार दिया है.
सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए प्रयास
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत अपनी स्थायी सदस्यता के लिए आवाज उठाता रहा है. इसके लिए वह बड़े राष्ट्रों से समर्थन के लिए भी कहता हैं. हाल ही में रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने के लिए भारत का समर्थन किया है.
Read:तू संगीत का सागर है, तेरी एक गीत के प्यासे हम
संयुक्त राष्ट्र का इतिहास
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था. राष्ट्र संघ काफ़ी हद तक प्रभावहीन था और संयुक्त राष्ट्र का उसकी जगह होने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य देशों की सेनाओं को शांति के लिए तैनात कर सकता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ 1930 के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ़ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और 1946 में इसे भंग कर दिया गया. राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनाया. 1944 में अमरीका, ब्रिटेन, रूस और चीन ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रुपरेखा पर सहमत हो गए. इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में पचास देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई. फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणा-पत्र की शर्तों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई. आज संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्य हैं.
Read More:
United Nations Organisation Relevance
Read Comments