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दक्षिण की सुंदरी वैजयंती माला

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हिन्दी फिल्मों में शीर्ष स्थान पाना बहुत ही मुश्किल होता है. आज के दौर में तो प्रतियोगिता है ही पहले भी सितारों में आगे जाने की होड़ लगी रहती थी. ऐसे में अभिनेत्रियों के लिए तो फिल्मों में खुद को सफल कराना और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों की लिस्ट में शामिल कराना और भी मुश्किल होता है. और जब बात दक्षिण की हिरोइनों के हिन्दी फिल्मों में आकर काम करने और जगह बनाने की हो तो वह तो और भी मुश्किल हो जाता है.


दक्षिण सिनेमा से हिन्दी सिनेमा में सबसे पहले सफल होने वाली अभिनेत्रियों में वैजयंतीमाला का नाम सबसे ऊपर आता है. अपने अभिनय और कला के दम पर वैजयंतीमाला ने ऐसे मानक स्थापित किए जिस पर चलकर आज की नायिकाएं खुद को सफल बनाने की कोशिश करती हैं. एक क्लासिकल डांसर की छवि के साथ वैजयंतीमाला ने हिन्दी फिल्मों में नायिका के नृत्य को अहम बना दिया.


Vaijayanti Mala actressवैजयंतीमाला का जीवन

13 अगस्त, 1936 को जन्मी वैजयंतीमाला तमिल ब्राहमण परिवार से हैं. उनकी मां वसुंधरा देवी भी तमिल फिल्मों की एक प्रमुख नायिका रही हैं. वैजयंतीमाला का बचपन धार्मिक वातावरण में बीता. उनके पिता का नाम ए.डी.रमन था.


पांच साल की उम्र में ही वैजयंतीमाला ने स्टेज शो किया. इस शो में उन्होंने पारंपरिक भारतीय नृत्य की प्रस्तुति दी थी. वैजयंतीमाला ने गुरु वझूवूर रमिआह पिल्लै से भरतनाट्यम सीखी. 13 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज शो के द्वारा अपने भारतनाट्यम की कला को दिखाना शुरू कर दिया था.


Vaijayanti Mala actressवैजयंतीमाला का कॅरियर

1949 में साउथ की फिल्म वाझकई से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की. यह फिल्म एक हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म का तमिल संस्करण भी एक हिट फिल्म साबित हुई थी जिसमें वैजयंतीमाला ने ही काम किया था. 1951 में वाझकई के हिन्दी संस्करण “बहार” के साथ वैजयंतीमाला ने हिन्दी फिल्मों में अपने कॅरियर की शुरुआत की. हिन्दी में भी यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई. वैजयंतीमाला पहली ऐसी दक्षिण की हिरोइन थीं जिन्हें अपने डायलॉग डब नहीं करने पड़े थे. उन्होंने हिन्दी में डायलॉग बोलने के लिए हिन्दी भी सीखी थी.


Vyjayantimalaवैजयंतीमाला का डांस उनके अभिनय के साथ सोने पर सुहागा की तरह लगता था. वेस्टर्न के साथ क्लासिकल डांस को मिलाकर वैजयंतीमाला ने नृत्य की अनोखी कला इजाद की थी. 1954 में आई फिल्म “नागिन” उनकी पहली सफल फिल्म थी. इसके बाद 1955 में आई “देवदास” में उन्होंने चंद्रमुखी के किरदार को कालजयी बना दिया. इस फिल्म में वैजयंतीमाला के अभिनय को बहुत सराहना मिली और उन्हें पहला फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला. फिल्म “नया दौर” में दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा. “नया दौर” बॉलिवुड की सबसे सफल और बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है.


वैजयंतीमाला ने “संगम”,“साधना”,“सूरज”,“प्रिंस”,“मधुमती”,“गंगा जमुना”,“अमरपाली” जैसी हिट फिल्मों में भी अपने अभिनय का लौहा मनवाया. “मधुमती” और “गंगा जमुना” जैसी फिल्मों में लीक से हटकर निभाए गए उनके किरदारों को हर तरफ से सराहना मिली.


वैजयंतीमाला और दिलीप कुमार की जोड़ी को दर्शकों ने एक समय बहुत पसंद किया था. पर्दे और पर्दे के बाहर दोनों के रोमांस की कहानी दर्शकों की पसंद थी. वैजयंतीमाला ने दिलीप कुमार के साथ “मधुमती”, “नया दौर”, ‘पैगाम”,“लीडर” और “संघर्ष” जैसी हिट फिल्में कीं.


वैजयंतीमाला अभिनय के साथ भरत नाट्यम की भी एक अच्छी नृत्यांगना रही हैं.


वैजयंतीमाला की उपल्ब्धियां

  • 1956 में फिल्म “देवदास” के लिए पहली बार वैजयंतीमाला को सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार.
  • 1958 में फिल्म “मधुमती” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड.
  • 1961 में फिल्म “गंगा-जमुना” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड.
  • 1964 में फिल्म “संगम” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड.
  • 1996 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड.

फिल्मों में काम करने के बाद वैजयंतीमाला सक्रिय रुप से राजनीति में कार्यरत हैं. आज वैजयंतीमाला साउथ चेन्नई की सबसे ताकतवर राजनैतिक शख्सियतों में से एक हैं. इस समय वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं.


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