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एक संत राजनीतिज्ञ सरदार वल्लभ भाई पटेल

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Vallabhbhai Patel आज हम जिस भारत का चेहरा देख रहे हैं शायद वह एक इंसान के बिना मुमकिन हो ही नहीं पाता और वह हैं वल्लभ भाई पटेल. भारत के लौह पुरुष के नाम से मशहूर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एकीकृत करने में अहम योगदान दिया है. सरदार पटेल एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने देश को आजादी के बाद एक किया. राजनीति में बिना किसी विशेष मोह के उन्होंने देश की सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य माना.


अपने कार्यों और क्षमता की वजह से उन्हें “लौह पुरुष” की उपाधि दी गई थी जिसे उन्होंने अपने कामों से सही भी साबित किया. वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्रता के पश्चात दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए रियासतों के भारतीय संघ में विलय का महत्वपूर्ण कार्य किया. अंग्रेज भारत को छह सौ टुकड़ों में बांट गए थे. अंग्रेजों ने राजे-रजवाड़ों को भारत में शामिल होना उनकी इच्छा पर छोड़ दिया था. इससे नए स्वतंत्र उपनिवेश बनने का खतरा पैदा हो गया था, लेकिन 26 जनवरी, 1950 को भारत का नया संविधान लागू होने तक ये तमाम राज्य भारतीय गणतांत्रिक ढांचे में एकीकृत हो चुके थे. सरदार पटेल ने बहला-फुसलाकर और डांट-डपट कर इन राज्यों को रास्ते पर लाने का चमत्कार कर दिखाया था. केवल जम्मू-कश्मीर का मामला सरदार पटेल के पास नहीं था, वही अब समस्या बना हुआ है.


माना जाता है कि यदि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के प्रधानमंत्री बनते तो कश्मीर भारत के लिए आज समस्या नहीं होता. कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है, वह भी भारत के पास होता. पाक अधिकृत कश्मीर की एक-एक इंच भूमि मुक्त करा ली गई होती.


ऐसा नहीं था कि सरदार पटेल के पास प्रधानमंत्री बनने लायक क्षमताएं नहीं थीं या उनके समर्थक कम थे लेकिन नेहरू जी की तरह वह गांधी जी के प्रिय नहीं थे जिसकी वजह से मत होने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री पद और अहम मौकों पर कांगेस का अध्यक्ष नहीं बनाया गया. देश जब आजाद हुआ तो प्रधानमंत्री के तौर पर दूसरा विकल्प सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे लेकिन गांधी जी की राय से प्रधानमंत्री पद मिला पं. नेहरू को. नेहरू ने शुरू से ही सबको एक साथ लेकर चलने की रणनीति बनाए रखी और इसी कारण उन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देते हुए इसके एकीकरण का मामला अपने हाथों में रखा. नेहरू जी अगर चाहते तो वह कश्मीर को भी सरदार पटेल को सौंप उसका पूर्ण विलय बिना किसी शर्त पर करा सकते थे. जिसके बाद मुमकिन था आज घाटी में खून की नदियां ना बहतीं.


लेकिन देश को एक करने वाला यह लौह पुरुष 15 दिसंबर, 1950 को हम सबको अलविदा कह गया. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जिस दृढ़ संकल्प से इस देश को एक किया था वह भावना आज के नेताओं के मन से नदारद है. आज कहीं कोई तेलंगाना मांग रहा है तो कोई यूपी के चार टुकड़े करने की बात करता है. आज भारत को फिर एक सरदार पटेल की जरूरत है.


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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल


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