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जब गांधी को करना पड़ा अपने उसूलों से समझौता

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हरिलाल गांधी की पूरी जिंदगी अपने पिता महात्मा गांधी के आदर्शों के खिलाफ विद्रोही तेवरों की वजह से फेमस रही. उनके लिए कभी भी महात्मा गांधी के आदर्श एक प्रेरक शक्ति नहीं रहे बल्कि वह स्वयं इसे अपनी जिंदगी के लिए सबसे बड़ा रुकावट मानते थे.


Gandhi and Kasturbaदुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने जीवन में कभी हिंसक हुए थे? क्या उन्होंने अपनी बात को मनवाने के लिए नैतिक रूप से हिंसा का सहारा नहीं लिया? उनके पुत्र हरिलाल गांधी की पूरी जिंदगी अपने पिता महात्मा गांधी के आदर्शों के खिलाफ विद्रोही तेवरों की वजह से फेमस रही. उनके लिए कभी भी महात्मा गांधी के आदर्श एक प्रेरक शक्ति नहीं रहे बल्कि वह स्वयं इसे अपनी जिंदगी के लिए सबसे बड़ा रुकावट मानते थे.


पूरे विश्व में महात्मा गांधी को अद्भुत और चमत्कारिक व्यक्तित्व माना जाता है. सादगी और सहजता के साथ उन्होंने किस तरीके से भारत को सैकड़ों साल पुरानी अंग्रेजी जकड़न से मुक्त कराया. उनके अमिट विचार जीवनभर उनके और समर्थकों के लिए जीवनदायिनी रहे. इसके बावजूद भी वह कहीं ना कहीं पारिवारिक विफलता से क्षुब्ध रहे. महात्मा गांधी जिन्होंने पूरे देश की आत्मा में परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया उन्हें जीवन भर अपने बेटे की सोच को बदलने में कामयाबी नहीं मिल सकी. बल्कि उनके बेटे ने ही विद्रोही होकर अपने पिता को नीचा दिखाने के लिए धर्म परिवर्तन तक कर लिया.


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महान पिता के खिलाफ बेटे के विद्रोही तेवर आज भी लोगों को हैरान करते हैं. जब इन दोनों (महात्मा गांधी और हरिलाल) के रिश्तों के बारे में लोग पढ़ते हैं तो उनका विवेक यह सवाल पूछने के लिए विवश करता है कि आखिर क्यों एक बेटा अपने जीते जी, सदैव अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह करते हुए, विषवमन करता रहा. आखिर क्या कारण रहे कि हरिलाल गांधी समय के साथ-साथ विद्रोह की गिरफ्त में और अधिक तेजी से जाते रहे और कभी वापस मुड़ने का प्रयास नहीं किया?


गांधी की विफलता तब और बढ़ जाती है जब पिता और पुत्र के बीच पनपती कड़वाहट में महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी पिसती रहती हैं. वैसे कस्तूरबा गांधी की पीड़ा कहीं ना कहीं गांधी परिवार में सबसे ज्यादा थी. गांधी जी के सत्य और अनुशासन के सिद्धांत को तो दुनिया भी सलाम करती है लेकिन गांधी जी का एक ऐसा सिद्धांत है जिस पर दुनिया कभी एकमत नहीं हो पाई है और वह है ब्रह्मचर्य का सिद्धांत. कई लोग मानते हैं कि गांधी जी का अपने जीवन में ब्रह्मचर्य को अपनाने का फैसला ‘बा’ यानि कस्तूरबा गांधी के लिए बेहद कठिन और पीड़ादायक रहा. यही नहीं उनके कड़े नियम उनके बच्चों सहित उनकी पत्नी के लिए पीड़ादायक थे. पत्नी होने की वजह से कस्तूरबा गांधी ने इसका कभी विरोध नहीं किया लेकिन उनके बच्चों में हरिलाल ने इसका पुरजोर विरोध किया.


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महात्मा गांधी के प्रपौत्र गोपाल कृष्ण गांधी ने महात्मा गांधी के बारे में कुछ अनछुए पहलू उजागर किए थे जिसमें से एक घटना कुछ यूं है………….


बकौल महात्मा गांधी “जब मैं दक्षिण अफ्रीका के डरबन में रहता था. उस समय मेरे साथ एक क्रिश्चियन क्लर्क भी रहता था जिसका जन्म अछूत परिवार में हुआ था. जिस घर में मैं रहता था वह घर पूरी तरह से वेस्टर्न मॉडल पर आधारित था. इसमें हर रूम के लिए अलग-अलग बाथरूम थे जिसकी गंदगी नौकर साफ करते थे. महात्मा गांधी के अनुसार तब खुद और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ने अपनी-अपनी गंदगी साफ की. लेकिन क्रिश्चियन क्लर्क चूंकि वहां नया व्यक्ति था इसलिए स्वयं महात्मा गांधी और उनकी पत्नी उस क्लर्क के बेडरूम तथा लैट्रिन पॉट की भी साफ-सफाई किया करते थे. उसी दौरान सफाई करते समय कस्तूरबा और मोहनदास गंदगी पर गिर गए थे. तब गांधी, कस्तूरबा को उस गंदगी से खींचकर बाहर लाए और इसी बीच उनके दर्मियान झड़प भी हुई. आवेश में महात्मा ने ‘बा’ को छोड़ देने की बात की हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ.


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