- 1020 Posts
- 2122 Comments
भारतीय समाज में हर कर्म और वस्तु का एक देवता माना जाता है. चाहे पेड़ हो या वस्तु सभी को हम समान महत्व देते हैं. इसी क्रम में भगवान विश्वकर्मा को यंत्रों का देवता माना जाता है. वर्तमान भौतिक युग यंत्र प्रधान है. यंत्र के अधिष्ठाता के रूप में भगवान विश्वकर्मा की मान्यता रही है. अनेक शास्त्रों में इनकी स्तुति की गई है. भगवान विश्वकर्मा ने मानव को सुख-सुविधाएं प्रदान करने के लिए अनेक यंत्रों व शक्ति संपन्न भौतिक साधनों का प्रादुर्भाव किया. इनके द्वारा मानव समाज भौतिक चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर रहा है. प्राचीन शास्त्रों में वैमानकीय विद्या, नवविद्या, यंत्र निर्माण विद्या आदि का भगवान विश्वकर्मा ने उपदेश दिया है. अत: भौतिक जगत में भगवान विश्वकर्मा उपकारक देव माने गए हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिल्प की जयंती विधि-विधान से मनाने से जटिल मशीनरी कार्यो में सफलता मिलती है.
माना जाता है प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी उन्हें भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था. विश्वकर्मा पूजा के दिन खास तौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर आदि में पूजा होती है. इस दिन मशीनों को साफ किया जाता है. उनका रंग रोगन होता है और पूजा की जाती है. इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं क्यूंकि विश्वकर्मा पूजन के दिन मशीनों पर काम करना वर्जित माना जाता है.
विश्वकर्मा पूजन से संबंधित अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: यंत्रों के देव भगवान विश्वकर्मा
Read Comments