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Waheeda Rehman in Hindi) और गुरुदत्त की लव स्टोरी भी ऐसी ही थी जो अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाई.
भारत के लिए नवाज कितने शरीफ होंगे
वह दौर था जब गुरुदत्त ने निर्देशक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत फिल्म बाजी (1951) से की. यह क्राइम थ्रिलर थी जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. बाजी की कामयाबी के बाद गुरुदत्त एक सफल निर्देशक के रूप में पहचाने जाने लगे. गुरुदत्त को हिंदी फिल्मों में नए प्रयोगों के लिए जाना जाता था. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्हें अगली फिल्म ‘सीआईडी’ के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी जो खूबसूरत तो हो ही साथ ही उर्दू भी बोलने में सक्षम हो. उनकी तलाश तब पूरी हुई जब उनकी मुलाकात भावुकता और व्यवहारिता का अदभुत सौंदर्य का मेल लिए वहीदा रहमान से हुई.
वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) का जन्म 14 मई, 1936 को तमिलनाडु के एक परंपरावादी मुस्लिम परिवार में हुआ था. बचपन से वहीदा डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन उनका भाग्य उन्हें सिनेमा में खींच लाया. मुंबई में आने के बाद वहीदा रहमान और उनकी बहन ने भरतनाट्यम की शिक्षा ली. फिल्मी कैरियर की शुरुआत उन्होंने 1955 में दो तेलुगू फिल्मों के द्वारा की और दोनों ही हिट रहीं. जिसका फायदा उन्हें गुरुदत्त की फिल्म “सीआईडी” में खलनायिका के रोल के रुप में मिला.
सलमान के अलावा और कोई चांस नहीं देता
फिल्म सीआईडी में वैसे वहीदा का ज्यादा रोल नहीं था लेकिन उनके शानदार डांस के अभिनय ने सबके दिलों को छू लिया, जिसकी बदौलत उन्हें गुरुदत्त की अगली फिल्मों लीड भूमिका में काम करने का मौका मिला. सीआईडी की सफलता के बाद फिल्म प्यासा में वहीदा रहमान को लीड हिरोइन का रोल मिला. यह वह फिल्म था जिसके बाद वहीदा और गुरुदत्त साहब का विफल प्रेम प्रसंग का आरम्भ हुआ था.
(Waheeda Rehman) . गुरुदत्त दोनों से बेहद प्रेम करते थे और दोनों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नही सका. आखिरकार अपनी फिल्मों की ही तरह उनका भी दुःखद अंत हुआ. नींद की गोली का अत्यधिक सेवन करने से 10 अक्टूबर, 1964 को इस विलक्षण फिल्मकार की मौत हो गई.
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