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स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन का निवास होता है. हमारा शरीर एक मंदिर है जिसमें आत्मा का वास होता है और मंदिर को कभी गंदा या खराब नहीं रखना चाहिए. इंसान की सबसे बड़ी दौलत उसका शरीर और उसका स्वास्थ्य होता है.
स्वस्थ शरीर, स्वस्थ विचार एवं स्वस्थ बुद्धि का मूर्त रूप ही आरोग्य है. आरोग्य वह अवस्था है जिसमें हम प्रकृति एवं वातावरण से सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन का आनंद लेते हैं. हम वास्तविक रूप से तभी स्वस्थ होते हैं जब हम स्वयं को मानसिक, भौतिक, भावात्मक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्तर पर स्वस्थ अनुभव करते हैं.
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास इतना समय बिलकुल नहीं होता कि वह अपने स्वास्थय का समय-समय पर चेकअप कराते रहें इसलिए स्वस्थ दिनचर्या अपनाकर लोग रोगों से दूर रहने की कोशिश करते हैं.
सफल जीवन में स्वास्थ्य का मूल्य समझ कर ही विश्व स्वास्थय संगठन की स्थापना की गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 07 अप्रैल 1978 को हुई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व भर में अपनी सेवाएं फैला रखी हैं जो समय आने पर युद्ध-स्तर पर भी कार्यवाही कर सकती है. दुनिया का सबसे बड़ा ब्लड बैंक भी इन्हीं के पास है. आज अपनी सही कार्यशैली और नियंत्रण की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरी दुनिया में सम्मान की निगाहों से देखा जाता है. मलेरिया, पोलिया, चेचक, हैजा, वायरल आदि कई बीमारियों को रोकने में विश्व स्वास्थ्य संगठन का विशेष योगदान रहा है.
साल 2010 में जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन का मकसद शहरी जीवन में स्वास्थ्य के महत्व को बढ़ावा देना था वही 2011 में विश्व स्वास्थय संगठन सूक्ष्मजीव प्रतिरोधियों के वैश्विक प्रसार से चिंतित होकर इस वर्ष इसी को विषय वस्तु बनाया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अपने इस जागरुकता अभियान में लोगों के ध्यानाकर्षण के लिए विशेष रूप से एचआईवी/एड्स, क्षयरोग, मलेरिया जैसी महामारियों को भी शामिल करेगा.
यह वैश्विक संगठन सरकार और अभियान के अन्य साझेदारों से नीतियों को लागू करने, उच्च प्रतिरोधक सुपरबग्स के उद्भव को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करेगा. इसके साथ ही सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा गंभीर रूप से संक्रमित लोगों को आवश्यक देखभाल भी प्रदान करेगा.
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