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हर साल विश्व में लाखों लोग एक ऐसी बीमारी के शिकार बन मौत के आगोश में समा जाते हैं जिसकी वजह बहुत छोटी सी होती है. एक छोटे से मच्छर की वजह से विश्व में हर साल 2,05,000 मौतें होती हैं. इतनी बढ़ी संख्या में होने वाली मौतों के पीछे अक्सर वजह तो मच्छर होते हैं लेकिन उनके पनपने में हमारा ही हाथ होता है.
कभी आस-पड़ोस में जमा गंदे पानी में तो कभी छत पर पड़े घड़े या अन्य बर्तनों में पैदा होने वाले यह मच्छर इंसान का खून चूस दूसरे में इंजेक्ट कर देते हैं जिसकी वजह से मलेरिया हो जाता है.
आखिर मलेरिया है क्या
) एक प्रकार का बुखार है. इसमें बुखार ठण्ड या सर्दी (कंपकपी) के साथ आता है. मलेरिया बुखार के मुख्य लक्षण हैं सरदर्द, उलटी और अचानक तेज सर्दी लगना. मलेरिया मुख्यत: संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर द्वारा काटने पर ही होता है. जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्छर के काटने के 10-12 दिनो के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं. मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनोलीज मच्छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12-14 दिनों में ये मादा एनोलीज मच्छर भी संक्रमित होकर जितने भी स्वस्थ मनुष्यों को काटते हैं उनमें मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं. इस तरह एक मादा मच्छर कई स्वस्थ लोगों को बीमार कर सकती है.
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास- History of World Malaria Day
) बहुत तेजी से स्वस्थ मनुष्यों में फैलता है और इसकी वजह से जान का नुकसान भी होने का आसार रहता है. मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के स्वरूप और संक्रामकता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने पाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकारी उपायों के साथ-साथ लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है. इसे ध्यान में रखते हुए डबल्यूएचओ की संस्था वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली की मई 2007 की 60वें सत्र की बैठक में 25 मई को विश्व मलेरिया दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
And India
) से निपटने के लिए भारत ने बहुत पहले ही उपाय करने शुरु कर दिए थे. भारत सरकार ने वर्ष 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया, जबकि वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली के अनुरोध पर वर्ष 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एनएमईपी) और आगे चलकर मॉडिफाइड प्लान ऑफ ऑपरेशन (एमपीओ) नाम से नई योजना शुरू की गई.
का इलाज संभव है बस जरुरत है तो सही समय पर उपचार की.
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