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अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस: इनके अनुभव का क्यों नहीं करते सम्मान?

Special Days
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वृद्धजन सम्पूर्ण समाज के लिए अतीत के प्रतीक, अनुभवों के भंडार तथा सभी की श्रद्धा के पात्र हैं. समाज में यदि उन्हें उपयुक्त सम्मान मिले और उनके अनुभवों का लाभ उठाया जाए तो वे हमारी प्रगति में विशेष भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन आज की युवा पीढ़ी जो स्वयं से आगे कुछ सोच ही नहीं पाती वह परिवार के बुजुर्गों को अपने ऊपर एक बोझ समझने लगती है.


World Senior Citizens Dayअंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World  Senior Citizens Day) का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World  Senior Citizens Day) के रूप में मनाया जाएगा. इससे बुजुर्गों को भी उनकी अहमियत का एहसास होगा और समाज के अलावा परिवार में भी उन्हें उचित स्थान दिलवाया जा सकेगा. सबसे पहले 1 अक्टूबर, 1991 को बुजुर्ग दिवस मनाया गया और तब से यह सिलसिला निरंतर जारी है.


भारत में बुजर्गों की स्थिति

आज देश में बुजुर्गों की स्थिति बहुत ही दयनीय है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर पांच में से एक बुजुर्ग अकेले जीवन व्यतीत कर रहे हैं. आश्चर्य की बात यह है कि परिवार के होते हुए भी यह वृद्धजन दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. आंकड़ों में बताया गया कि इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि ऐसे अकेले रहने वाले बुजुर्गों के आंकड़ों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.


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वृद्धजनों के लिए राष्‍ट्रीय नीति 1999

भारत सरकार ने 1999 में बुजुर्गों से संबंधित राष्‍ट्रीय नीति बनाई जिसके  तहत  वरिष्‍ठ नागरिकों को वित्‍तीय सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और पौष्टिकता, आश्रय, जानकारी संबंधी आवश्‍यकताओं, उचित रियायतों आदि में सहायता प्रदान करना है. इस नीति के अनुसार वरिष्‍ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा जैसे उनके कानूनी अधिकारों की रक्षा करने और इन्‍हें मजबूत बनाने पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा.

इसके अलावा 2007 में माता-पिता एवं वरिष्‍ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक  संसद में पारित किया गया है. इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्‍थापना, चिकित्‍सा सुविधा की व्‍यवस्‍था और वरिष्‍ठ नागरिकों के जीवन और सं‍पत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. इस कानून के बारे में पूरी जानकारी न होने और विभिन्‍न स्‍तरों पर ठीक तरह से कानून लागू न होने के कारण बड़ी संख्‍या में वृद्धजन इस कानून के अंतर्गत मिलने वाले लाभ प्राप्‍त नहीं कर पा रहे हैं.


वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार

जीने के अधिकार को कानून की सुरक्षा दी जाए, अमानवीय बर्ताव से सुरक्षा का अधिकार दिया जाए. स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार, प्रत्येक वृद्ध को निष्पक्ष एवं सार्वजनिक सुनवाई के अधिकार का हक, घर, परिवार और निजी जीवन में आदर का अधिकार, विचार और चेतना की आजादी का अधिकार, भेदभाव से सुरक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार आदि प्रदान किए जाएं.

उम्र के इस पड़ाव पर बुजुर्गों को आए दिन कोई न कोई बीमारी घेरे रहती है. इस उम्र में बुजुर्गों को मधुमेह, आंख संबंधी दिक्कतें, आर्थराइटिस और तनाव जैसी कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे स्थिति में अगर बुजुर्गों के साथ उनका अपना कोई न हो तो आप समझ सकते हैं कि उन पर क्या गुजरती होगी.


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