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यूं तो दुनिया में हजारों ऐसी बीमारियां हैं जिसका निवारण बेहद जरूरी है लेकिन एड्स के बाद सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी टीबी यानि क्षय रोग एक ऐसा रोग है जिसका निवारण तो मुमकिन है पर फिर भी हर साल हजारों इसकी वजह से मारे जाते हैं.
टीबी एक संक्रामक रोग है जो कि माइक्रोबैक्टीरिया टीबी के कारण होता है. टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा. टीबी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन ये रीढ़ की हड्डी, किडनी और यहां तक कि मस्तिष्क में भी विकार उत्पन्न कर देता है. किसी रोगी के खाँसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूँदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में साँस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं.
विश्व क्षय रोग दिवस
क्षय रोग या टी.बी. एक संक्रामक बीमारी है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 1.5 मिलियन लोग मौत का शिकार होते हैं. इतना ही नहीं भारत में हर साल टी.बी. से मरने वालों की संख्या 2 लाख से भी ज्यादा होती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस बीमारी का कोई इलाज नही है बल्कि गलती लोगों की है जो इस बीमारी के प्रति या तो जागरुक नहीं हैं या फिर वह इसके इलाज को बीच में छोड़ देते हैं. इसी जागरुकता को पैदा करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा हर साल 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस के रूप में मनाया जाता है.
आइए कुछ बेहद सरल शब्दों में टीबी के लक्षण और उससे बचने के उपाय जानें:
टी.बी. के लक्षण
* भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना.
* बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना.
* हलका बुखार रहना, हरारत रहना.
* खाँसी आती रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना. कभी-कभी जोर से अचानक खाँसी में खून आ जाना.
टीबी से बचने के उपाय
• दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो चिकित्सक को दिखायें और बलगम की जांच करवायें.
• बीमार व्यक्ति से दूरी ही बनायें.
• समय पर खाना खाएं.
• आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे दूर रहें.
• किसी बीमार व्याक्ति से मिलने के बाद अपने हाथों को ज़रूर धो लें.
• पौष्टिक आहार लें जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों क्योंकि पौष्टिक आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.
डॉट्स – टीबी का बेजोड़ इलाज
डॉट्स पद्धति से मरीज इलाज कराता है तो उसे क्षय रोग से मुक्त होने में 10 महीनों से भी कम समय लगता है. शर्त यही है कि दवा नियमित और रोज लेनी है. जो लोग बीच में दवा खाना छोड़ देते हैं, उनके क्षयरोग के कीटाणु नष्ट नहीं होते बल्कि दवा के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न कर लेते हैं. डॉट्स विधि के अन्तर्गत चिकित्सा के तीन वर्ग हैं पहला, दूसरा व तीसरा. प्रत्येक वर्ग में चिकित्सा का गहन पक्ष व निरंतर पक्ष होता है. इस दौरान हर दूसरे दिन, सप्ताह में तीन बार दवाइयों का सेवन कराया जाता है.
अगर टीबी का इलाज मुमकिन है और सरकार के द्वारा यह सुलभ उपलब्ध है तो इसके उपचार में झिझक कैसी. आइए साथ मिलकर टीबी को दूर भगाने का निश्चय करें.
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