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शहनाई सम्राट बिसमिल्ला खां, सितार वादक पंडित रवि शंकर और बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया यह कुछ ऐसे नाम हैं जिनके बिना शास्त्रीय संगीत की कल्पना करना नामुमकिन सा है. इन्हीं नामों में से एक नाम है तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का. इन्होंने तबला संगीत को भारत तथा विश्वपटल पर भी स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
प्रसिद्ध तबला वादक और संगीतकार ज़ाकिर हुसैन का जन्मदिन है. जाकिर हुसैन का जन्म 09 मार्च, 1951 को हुआ था. ज़ाकिर हुसैन मशहूर तबला वादक कुरैशी अल्ला रखा खान के पुत्र हैं. अल्ला खान भी तबला बजाने में माहिर माने जाते थे. ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता. प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज के बाद जाकिर हुसैन ने कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना शुरू कर दिया.
बारह साल की उम्र से ही ज़ाकिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज को बिखेरना शुरू कर दिया था. 1973 में उनका पहला एलबम “लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड” आया था. उसके बाद तो जैसे जाकिर हुसैन ने ठान लिया कि अपने तबले की आवाज को दुनिया भर में बिखेरेंगे. 1973 से लेकर 2007 तक ज़ाकिर हुसैन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे. ज़ाकिर हुसैन भारत में तो बहुत ही प्रसिद्ध हैं ही साथ ही विश्व के विभिन्न हिस्सों में भी समान रुप से लोकप्रिय हैं.
ज़ाकिर हुसैन को छोटी सी उम्र में ही कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले. 1988 में जब उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था तब वह महज 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी. इसी तरह 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था. ज़ाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड भी मिला है.
हाल ही में उन्होंने इच्छा जाहिर की है यदि उनके पास अच्छे प्रस्ताव आते हैं तो उन्हें फिर से फिल्मों में काम करने में कोई ऐतराज नहीं है. हालांकि हुसैन हिंदी फिल्म ‘साज’ (1998) में काम कर चुके हैं जिसके निर्माता और निर्देशक साई परांजपे थे. फिल्म में अरुणा ईरानी और शबाना आजमी ने भी काम किया था. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ (1983) में भी काम किया था, जिसका निर्देशन जेम्स आइवरी ने किया था.
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