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आज समाज में एक अलग तरह की प्रवृति देखने को मिल रही है जहां पर एक व्यक्ति खुद को चरम सुख देने के लिए ऐसी चीजों का सहारा ले रहा है जिसके लत से न केवल वह अपनी जिंदगी के सारे रास्ते बंद कर रहा है बल्कि समाज को दूषित करने में अपनी अहम भूमिका भी निभा रहा है. अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस के दिन लोगों को हर बार यह बताया जाता है कि तंबाकू के सेवन से सांस की बीमारियों से लेकर कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है जो उनकी मौत का कारण बनता है.
orld no Tobacco Day 2013)
(World no Tobacco Day 2013) के अवसर पर तंबाकू के विज्ञापन, प्रमोशन और स्पॉन्सर पर रोक लगाई जाए.
चिंता की बात
चिंता की बात ये है कि दुनिया में हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से करीब 60 लाख लोगों की मौत होती है इसमें से अधिकांश वह लोग हैं जो गरीब देशों से नाता रखते हैं. एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक तंबाकू से मरने वालों की संख्या करीब एक करोड़ तक पहुंचने की आशंका है.
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वहीं भारत में हर साल तंबाकू से कम से कम 10 लाख लोगों की मौत होती है. इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां लोग सिगरेट, बीड़ी, गुटके और खैनी जैसे तंबाकू उत्पादों का सेवन अपनी रोजमरा की जिंदगी में करते हैं. सर्वे की मानें तो तंबाकू खपत के मामले में भारत जहां चीन के बाद दूसरे स्थान पर है वहीं तंबाकू निर्यात के मामले में भी वह ब्राजील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है.
डब्ल्यूएचओ का सुझाव
(World no Tobacco Day 2013) के अवसर पर ऐसे कई मौके आए हैं जब डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में तंबाकू के इस्तेमाल को लेकर चेताया है. डब्ल्यूएचओ सभी देशों से आग्रह किया है कि वे तंबाकू के प्रचार-प्रसार पर कड़ाई से रोक लगाएं. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियां किसी भी आयोजन को स्पॉन्सर न करें. डब्ल्यूएचओ ने यह सुझाव भी दिया है कि तंबाकू उत्पादों पर अधिक से अधिक कर लगाकर लोगों को इनसे दूर रखा जा सकता है.
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