Menu
blogid : 3738 postid : 3853

अखिलेश यादव: चोरी-डकैती, हत्या और बलात्कार बस इतनी है मेरी रिपोर्ट कार्ड !!

Special Days
Special Days
  • 1020 Posts
  • 2122 Comments

एक पुरानी कहावत तो आपने सुन रखी होगी कि ‘खोदा पहाड़ और निकली चुहिया’. यह कहावत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सामंतवादी वंशानुगत उत्तराधिकार के साक्षात प्रतीक अखिलेश यादव पर ठीक-ठीक बैठती है. डेढ़ साल पहले की बात है जब उत्तर प्रदेश की जनता चोरी-डकैती, हत्या और बलात्कार जैसी घटनाओं से त्रस्त थी. उस समय मायावती के नेतृत्व वाली बसपा की सरकार पर ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की बजाय इसे बढ़ावा देने का इल्जाम लगा.


akhilesh yadavउस समय प्रदेश की जनता एक ऐसे नेता की तलाश में थी जो राज्य की तकदीर को पूरी तरह से बदल दे. तब उसकी नजर समाजवादी पार्टी के युवा नेता और मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव पर पड़ी. अखिलेश भी अपना राजनीति दायरा पूरी तरह से बढ़ा चुके थे. आज जैसे नरेंद्र मोदी को लेकर पूरे देशभर में खासकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में जोश है कुछ इसी तरह का जोश उस समय उत्तर प्रदेश की जनता और सपा के कार्यकर्ताओं में था लेकिन राज्य की जनता का जोश तब ठंडा हो गया जब अखिलेश यादव की सरकार के पहले छ्ह महीने के कार्यकाल की समीक्षा की गई.


ये हैं पाकिस्तानी क्रिकेट के ‘काले कारनामे’


जिस बेदाग छवि के साथ अखिलेश 2012 में आए थे उनकी सरकार पर कुछ ही महीनों में ढेर सारे दाग लग गए. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री बने तब यह कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश राज्य से गुंडाराज खत्म कर दिया जाएगा. ऐसा तो नहीं हुआ उलटे अखिलेश ने अपने पिता की उस परंपरा को अपना लिया जहां पर दागियों और अपराधियों को मंत्री बनाकर उनका पुनर्वास किया जाता था. वैसे इसकी शुरुआत उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही राजा भैया को मंत्री बनाकर कर दी थी.


अखिलेश जब गद्दी पर बैठे उसके तीन महीने के भीतर ही जेल में बंद कई अपराधियों को बाहर पहुंचाने का बंदोबस्त उन्होंने कर दिया गया था. आज आलम यह है कि यही गुंड़े खुले तौर पर राज्यभर में दहशत फैला रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कुंडा की घटना को कौन भूल सकता है जहां उन्हीं की सरकार के एक मंत्री राजा भैया पर पुलिस उपाधीक्षक जिया-उल-हक की हत्या का आरोप लगा है.


वैसे केवल गुंडागर्दी ही नहीं है जिससे अखिलेश की सरकार कटघरे में दिखाई देती हैं. आंकड़े बताते हैं कि अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने से लेकर मार्च, 2012 से लेकर 31 दिसंबर,  2012 तक उत्तर प्रदेश में कुल 27 सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं जिनमें 97 लोगों की मृत्यु हुई है. इसमें 2013 के सांप्रदायिक दंगों के मामले को शामिल नहीं किया गया है. जिन जिलों में सबसे ज्यादा दंगे हुए उनमें मथुरा का कोसीकलां, बरेली, फैजाबाद, लखनऊ, इलाहाबाद, गाजियाबाद, कुशीनगर शामिल हैं.


यूथ आईकान बनकर आए अखिलेश यादव के राज्य में बलात्कार जैसी घटनाए भी लगातार बढ़ी हैं. अपराधी अपराध करके खुलेआम घूम रहे हैं. प्रशासन उन पर काबू करने की बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान कर रहा है. आज अखिलेश की सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे यह कहा जा सके कि उन्होंने चुनाव में प्रदेश की जनता के साथ किए वादे का मान रखा हो. हां, कुछ हद तक प्रदेश के गिने-चुने विद्यार्थियों को लैपटॉप बांटकर अपनी कुछ कमियां दबाने की कोशिश की है लेकिन क्या ऐसा लगता है इस तरह से कुछ युवाओं को आकर्षित करके अखिलेश अपने और पिता मुलायम सिंह यादव के भाग्य को बदल पाएंगे.


Read:

एसएमएस के जरिए रेल टिकट बुक करवाने के लिए आप टाइप करें

सीबीआई के डर से मजबूर हैं मुलायम !!


Tags: akhilesh yadav, akhilesh yadav in hindi, akhilesh yadav news, akhilesh yadav government, crime in uttar Pradesh, samajwadi party, समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश, अखिलेश यादव की सरकार.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh