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World Anti-Child Labour Day: बेटा तुम्हारी उम्र अभी पढ़ने-लिखने की है

Special Days
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child labour in indiaक्या आपने कभी सोचा है कि जो आप खाना खा रहे हैं या फिर जो आप कपड़ा पहने रहे हैं उसमें कहीं न कहीं उस मासूम बच्चे की मेहनत है जो समाज व व्यवस्था की उदासीनता की वजह से छोटी सी उम्र में मजदूरी करने पर विवश है. उनकी विवशता तब तक जारी रहती है जब तक वह नशा और चोरी-चकारी सीख एक खूंखार अपराधी नहीं बन जाते.


विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस  (World Day Against Child Labour)

(World Day Against Child Labour) के रूप में मनाया जाता है. इसका लक्ष्य लोगों से एकजुट होकर विश्वव्यापी बाल-श्रम की समस्या का समाधान करने की अपील करना है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक विश्व में 215 मिलियन बच्चे मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं. इनमें से 158 मिलियन बच्चों की उम्र 5 से 14 साल तक की है. जिसमें से कई बच्चे बंधुआ मजदूरी करते हैं.


मोदी को लेकर आडवाणी ने 2009 में ही प्लानिंग कर ली थी !!


तस्करी के शिकार बच्चे

वर्तमान में ऐसे कई लाख बच्चे हैं जो तस्करी का शिकार होते हैं. यानि ऐसे बच्चे जिन्हें गैरकानूनी तरीके से दूसरी जगहों पर ले जाकर उनका शोषण किया जाता है. इन बच्चों को ऐसे कामों पर लगाया जाता है जिससे उनकी जिंदगियां नरक बन जाती हैं. अंतरराष्ट्रीय संस्था श्रम संगठन की मानें तो बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह दुनियाभर में सक्रिय हैं लेकिन विकासशील देशों में उनकी पकड़ कहीं और अधिक है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. पिछले साल के एक अनुमान के मुताबिक देश में हर साल करीब 1.2 मिलियन बच्चों की तस्करी की जाती है. इनमें से अधिकतर को फैक्टरियों में काम पर लगाया जाता है. भारत में मानव तस्करी आंध्रप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से होती है.


हमने आंधियों में भी चिराग अकसर जलाए हैं


सुप्रीम कोर्ट की फटकार

भारत में सुप्रीम कोर्ट इस तरह के अपराध को रोकने के लिए तथा बच्चों के शोषण के मुद्दे को उठाने में कोताही बरतने पर सरकार को कई बार फटकार भी लगा चुकी है. ऐसा नहीं है कि बच्चों के समुचित विकास और शोषण को रोकने हेतु कानून नहीं है, लेकिन ये कानून सिर्फ कागजों पर ही सीमित है.


बाल श्रम (प्रतिबंध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986

बाल श्रम (उन्‍मूलन और विनियमन) अधिनियम, 1986 चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्‍चों को कारखानों, खानों और खतरनाक कामों में लगाने से रोकने और कुछ अन्‍य रोज़गारों में उनके काम की स्थितियों को विनियमित करने के लिए अधिनियमित किया गया था.


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