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उस रात कैसा खौफप्रद मंज़र रहा होगा
वो खुदा भी ये सोच कर के डर रहा होगा
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उन वहशियों ने उस माँ को इतने दिए जखम
ये देख कर यम भी कांपता थर थर रहा होगा
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इंसान भी अब नोंच कर खाने लगे हैं जिस्म
गिद्धराज भी ये सोच अचरज कर रहा होगा
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यमदूत भी उसकी जां को लेने आया जब होगा
हस्र नारी का देख अश्रु नयन में भर रहा होगा
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इस जहाँ में औरत को कौन महफूज़ है जगह
खुद जाने वतन का कौन सा वो दर रहा होगा
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ये दरिंदे मेरे द्वारा गड़ी तस्वीर का ही नतीजा हैं
ये सोच मुसव्विर नज़रों में अपनी गिर रहा होगा
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भविष्य में दरिंदों की माफीनामे की खातिर
कानून भी रहम की लगा चादर रहा होगा
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नग्नता की नग्न तस्वीर ले ना आयी उसे शरम
शर्म को भी शर्मसार वो इन्सां कर रहा होगा
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इस कृत्य का फांसी से अब होगा नहीं इलाज़
तज़ुर्बा कानूनविदों का ये ढिंढोरा कर रहा होगा
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दीपक पाण्डेय
जवाहर नवोदय विद्यालय
नैनीताल
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