Posted On: 7 Aug, 2014 Others में
दर पे जिसके हर दफा
किया था सज़दा
माँ के समान ज़हन में
दिया था ओहदा
उसी ने उठा कदम
तोडा मेरा भरम
झूठ और फरेब का
नुमाइन्दा बना दिया
खामियों का मुझको
पुलिंदा बना दिया
………………………….
बड़ी शिद्दत से इस रिश्ते को
सराहा था मैंने
चाहत से भी ज्यादा जिसे
चाहा था मैंने
मैं जिसका था कायल
उसी ने किया घायल
शब्द बाणो से भेद
घायल परिंदा बना दिया
खामियों का मुझको
पुलिंदा बना दिया
…………………………
मेरा ही अपना है जो
अपने अहं से दूर हो
बदनाम मुझे करे मगर
वो खुद मशहूर हो
इसी रिश्ते ने परोपकार में
अँधा बना दिया
खामियों का मुझको
पुलिंदा बना दिया
दीपक पाण्डेय
नैनीताल
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