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भक्ति ,भ्रष्टाचार और भगवान-(जागरण जंक्शन फोरम)

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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नारद जी धरती पर विचरण कर रहे थे
उस महिला अफसर का निरिक्षण कर रहे थे
इसमें तो अलौकिक अनूठी निष्ठां है
ईश्वर की भक्ति की पराकाष्ठा है
हर वर्ष मंदिरों में दान देती है
केदार के दर्शन को भी मान देती है
तभी चपरासी का आगमन हुआ
अफसर को दंडवत नमन हुआ
मैडम पहाड़ से पैगाम आया है
मिड डे मील का पैसा सबने खाया है
ये सुन मैडम के मन में हलचल हुई
सोचा केदार दर्शन की समस्या हल हुई
तुरंत अफसर को फोन लगाया गया
घोटाले के सिलसिले में हड़काया गया
अबकी में मुआयना करने आऊंगी
परिवार को भी साथ अपने लाऊंगी
मैडम यहाँ से भर्राई
उधर से आवाज आयी
मैडम आपका हमारा यही तो सम्बन्ध है
हैलीकॉप्टर से केदार दर्शन का प्रबंध है
वो जो अपने अनाज का घोटाला पाया है
पाँच बोरी अनाज मंदिर में भिजवाया है
ये सब देख नारद जी अकुलाये
मन ही मन बड़बड़ाये
हे भोलेनाथ
आ गया ये कैसा वक्त है
भ्रष्ट्राचारी भी आपका भक्त है
भ्रष्टाचार का ये कैसा अजब किस्सा है
भगवान का भी इसमें बराबर का हिस्सा है
शायद इसी खातिर आपको क्रोध आया है
तभी तो केदार में अपना रोद्र रूप दिखाया है

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