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मैंने कुछ सपने देखे थे
अपने जीवन की
खुशहाली के
फिर किया प्रयास
उनको पूरा करने का
कुछ सपने पूर्ण हुए
कुछ अधूरे रह गए
टूटे सपनों ने हताश किया
सच हुए सपनों ने खुशीयां दी
मगर फिर भी मैं
खुश न हो सका
आज भी मैं सपने देखता हूँ
आज मैं बहुत खुश हूँ
फर्क सिर्फ इतना है
अब मैंने अपने लिए नहीं
दूसरों के लिए सपने देखना
शुरू कर दिया है
सपने उस बीज के लिए
जो मन में सम्पूर्ण
वृक्ष बनने की आशा रखता है
उस उड़ते पंछी के लिए
जो भरी दोपहरी में
पानी की तलाश में
भटकता है और फिर
उन्मुक्त गगन में उड़ने
की आशा रखता है
सपने गर्भ में पलती
उन मासूम कलियों के लिए
जो इस संसार में
आना चाहती हैं
सपने उन निर्झरों के लिए
जो वृक्षों के अनियमित कटान
से सूखते जा रहे हैं
सपने उन बच्चों की
खातिर जो पाठशाला
जाना चाहते हैं
मगर सुबह से ही
मजदूरी करने को
अभिशप्त हैं
सपने उन लहलहाते खेतों
की खातिर जो
जमीन माफिआओं द्वारा
बंटकर बंजर हो रहे हैं
तो आओ आज से कुछ
ऐसे ही विचित्र सपने देखें
उन्हें पूर्ण करने का
छोटा ही सही मगर
प्रयास करें
फिर ये महसूस करें
कि जितनी ख़ुशी
इन सपनों के संपन्न
होने में हुई
इतनी शायद आज तक
कभी महसूस नहीं हुई
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