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हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है contest

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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यह तथ्य स्वीकारने में न कोई व्यवधान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है
आम बोलचाल की भाषा है है हिंदी
रिश्तो में नए की परिभाषा है हिंदी
जन जन के हृदय में बसी अभिलाषा है हिंदी
एक सूत्र में देश को पिरोने का हिंदी को ही योगदान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

गैर मुल्क में भी ये आगे बड रही
वसुधैव कुटुम्बकम की सभ्यता को गड रही
विदेशी पाठ्यक्रम में भी समां गयी
जीवन के हर क्षेत्र में आगे आ गयी
हिंदी से ही तो बना ये मुल्क महान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

भावनाओं से इसकी हर कोई ओत प्रोत है
हिंदी सभी भाषाओँ का मुख्य स्रोत है
दीपक है हिंदुस्तान हिंदी इसकी ज्योत है
हिंदी को इस मुल्क में शत शत प्रणाम है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

बाजार की भाषा में भी अब आ गयी हिंदी
विज्ञापनों की दुनिया में भी छा गयी हिंदी
समाचार पत्र हिंदी का सर्वत्र बिक रहा
हर विचारशील व्यक्ति इसमें ब्लॉग लिख रहा
नए जागरण की मिसाल में ये नया पायदान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

अफ़सोस इसकी देह में अब भी कोड रहा है
जो हिंदी को देख नक् भों सिकोड़ रहा है
अंग्रेजी सभ्यता की लेता सदा आड़ रहा है
प्रतिभावान गरीब को पछाड़ रहा है
बहूत सहा है अब आगे न सहेगी
अविरल प्रवाह में यूंही बहती रहेगी
आगे आयेगा वही जो प्रतिभावान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

हिंदी पखवाड़े को अब और न खर्चीला बनायें
दृढ़ता को छोड़ हिंदी को लचीला बनायें
अन्य भाषा के शब्दों को भी इसमें अपनाएं
न कोसें और भाषा को हिंदी को बढाएं
बढना चाहिए हिंदी में जन जन का योगदान है
.हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

राष्ट्र में अब भी कुछ ऐसे हुक्मरान हैं
हिंदी का तनिक भी नहीं जिनको ज्ञान है
इस पर भी कोई उनका न मजाक उडाये
हिंदी सिख कर उन्हें मुख्य धारा में लायें
सबके लिए हो अनिवार्य हिंदी ये हिन्दोस्तान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है
जीवन के हर पहलु में हिंदी ही सर्वस्व है
बस शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में अंग्रेजी का वर्चस्व है
जाने ये हिंदी से कैसा वैमनस्य है
अंग्रेजी जानने वालो का सत्कार कर रहे
प्रतिभावान हिन्दीभाषी को दरकिनार कर रहे
हर ओहदे के लिए हिंदी जरूरी बना डालो
हिंदी सीखना हर शक्षा की मजबूरी बना डालो
जो न जाने हिंदी उसकी सिक्षा अधूरी बना डालो
फिर देखो कैसे न बनती इसकी अपनी हस्ती है
फिर तो हर कोने में बसेगा हिंदुस्तान है
हिंदी का आज हो रहा सर्वत्र सम्मान है

दीपक पाण्डेय
jawahar navodaya vidyalaya nainital

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