CHINTAN JAROORI HAI
- 179 Posts
- 948 Comments
उठो द्रौपदी उठाओ वसन
अपनी देह पर धारण करो
विश्वास जहाँ से उठ गया
द्रौपदी का आज तो
कृष्ण न आये कोई
बचाने तुम्हारी लाज को
महारथी शर्मसार हैं सब
काँधों पे सर झुकाये हुए
निहारते तुम्हारी नग्न देह
नज़रों को उठाये हुए
दिव्य दृष्टी लिए संजय
प्रचार इसका कर रहा
नग्न जिस्म पर डाले वस्त्र
आयी नहीं किसी को हया
प्रतिशोध ले जो अब तुम्हारा
न कोई भीम का अवतार है
दुःशाशन का अंत संभव नहीं
साथ उसके विदुर की चाल है
रक्षा को तुम्हारी अब कोई
भीम आगे आता नहीं
कानून और मानवाधिकार के होते
कीचक सा अंत कोई पाता नहीं
प्रतिशोध का अब स्वयं ही
प्रण तुम प्रति क्षण करो
उठो द्रौपदी उठाओ वसन
अपनी देह पर धारण करो
Read Comments