CHINTAN JAROORI HAI
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कभी चहकती थी तो कभी इठलाती थी,
नन्ही सी चिड़िया मेरे आंगन में अाती थी।
कभी इस कोने में तो कभी उस कोने में,
खिड़की में कभी तो कभी बिछौने में,
घर के चहुंओर बस वो ही मंडराती थी,
नन्ही सी चिड़िया मेरे आंगन में आती थी।
उसके मेरे बीच ये कैसा करार था,
आंखों में हर रोज़ उसका इंतज़ार था,
चींचीं कर दरवाज़े पे दस्तक बजाती थी,
नन्ही सी चिड़िया मेरे आंगन में आती थी।
झोंका सा एक रोज़ ऐसा काल का आया,
सीधी गिरी धरा पे कोई समझ न पाया,
चुप थी मेरे हाथों में जो कल तक गुनगुनाती थी,
नन्ही सी चिड़िया मेरे आंगन में आती थी।
दखल नहीं दे सकता विधि के विधान में,
नन्ही सी परी तू गयी किस जहान में,
रुलाना ही था तो क्यूं तू इतना हंसाती थी,
ओ नन्ही परी क्यूं मेरे आंगन में आती थी।
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