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कहने को तो भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है परंतु आज इस लोकतंत्र जिस प्रकार की विसंगतियां आ गयी हैं उसके अनुसार यह कार्लमार्क्स की उस परिभाषा को सही रूप में चरितार्थ करता है ” लोकतंत्र वह तंत्र है जिसमे प्रजा के डंडे को प्रजा की ही पीठ पर फोड़ा जाता है ” यूं तो लोकतंत्र में जनता द्धारा ही सरकार चुनी जाती है परन्तु जनता की उदासीनता के चलते यह महज़ राजतन्त्र बन कर रह गया है या धीरे धीरे तानाशाही की ओर बढ़ता जा रहा है
आज इस लोकतंत्र में परिवारवाद का बड़ा चलन हो गया है और जनता भी अंधभक्ति दिखाकर उसी परिवार के वारिस को चुन लेती है बिना उस व्यक्ति का व्यक्तित्व को परखे I और धीरे धीरे यह लोकतंत्र राजतन्त्र का रूप धारण कर लेता है अभी एक प्रदेश में एक मुख्यमंत्री बनने से पहले ही माननीय न्यायालय का फैसला आने से और उसे अपराधी सिद्ध होने से मुख्यमंत्री पद से वंचित होना पड़ा हालाँकि यह केस लगभग दो दशक पुराना था यानि की जनता इस आय से अधिक संपत्ति के मामले को जानते हुए भी अंधभक्त बनते हुए उसे चुन रही थी
कुछ ऐसे उदहारण भी हैं जहां नेता जेल में रहकर चुनाव लड़ते हैं चूंकि उन पर कई मुक़दमे चल रहे होते हैं यहां भी जनता उन तानाशाहों को ही अपनी नियति मान चुकी है और उनको भी जनता की बेबसी पर इतना भरोसा है की किसी पार्टी से टिकट न मिलने पर भी वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत जाते हैं
हमारा संविधान बनाते वक्त सही कहा गया था कि ” यह संविधान सभ्य लोगों द्वारा सभ्य लोगों के लिए बनाया गया है ” परन्तु जब जनता ही उदासीन होकर या क्षेत्रवाद या जातिवाद या परिवारवाद के मोहपाश में फँसकर स्वयं को अंधभक्त बना देगी तो इस लोकतंत्र का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा I अंत में अपनी कविता के साथ अपनी वाणी को विराम देना चाहूँगा I
उम्र भर मुफलिसी मेँ जो रोता ही रहा ।
फटेहाल वो गरीब ए हिन्दोस्तान है जनाब ॥
चन्द बोतलोँ की खातिर बिकता है वही ।
इस देश का मतदाता है ये मतदान है जनाब ॥
ईमानदारी कहीँ इक कोने मेँ बैठी है छिपी ।
बेईमानी के हाथोँ उसका गिरेबान है जनाब ॥
सूरज के अस्त होते ही डगमगाने लगे हैँ पग ।
मयखाना है या देवभूमी का स्थान है जनाब ॥
पँडित और मुल्ला धर्म के ठेकेदार हैँ ।
अब न कोई कबीर न रसखान है जनाब ॥
खिलने से पहले कलियोँ को मसलने लगे ।
कुमाताओँ से भरा समाज ये महान है जनाब ॥
कातिल और मसीहा मेँ कोई फरक नहीँ ।
अबु सलेम भी देश का मेहमान है जनाब ॥
रिश्वत है जरुरी कोई जिये या मरे ।
भ्रष्टाचार मेँ अव्वल ये हिन्दोस्तान है जनाब ॥
दीपक पांडेय
जवाहर नवोदय विद्यालय
नैनीताल
२६३१३५
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