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धर्म और संस्कृती

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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पूजी जाती है तुलसी तो
चडता है धतूरा भी
पौधा हर एक औषधी से
भरा तो नहीँ है

आया था दर पे सीता के
साधू बन के वो रावण
हर एक संत के भेष मेँ
देवता तो नहीँ है

हो श्रद्धा औ विश्वास तो
पूजा भी जाता है पत्थर
वरना हर पत्थर एक दूजे से
जुदा तो नहीँ है

धर्म और संस्कृती का
अपना एक वज़ूद है
कथा वाचक की किसी ये
निजी धरा तो नहीँ है

देखता हूँ जो भी यूँ ही
लिख देती है लेखनी
वरना ये कवि कोई
मसखरा तो नहीँ है

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