CHINTAN JAROORI HAI
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हो बलि या क़ुरबानी बस काटी जाती है गर्दन
इन बेजुबानों का क्या कोई खुदा नहीं होता
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बन्दे खुदा के अब खुद ही बनने लगे खुदा
ईश्वर के दर पे अब कोई सज़दा नहीं होता
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धार्मिक उन्माद में हर कोई शख्श सराबोर है
युवाओं में देशप्रेम का अब जज़्बा नहीं होता
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धर्म के नाम पर अब महज़ होता है कत्लेआम
डर से खुदा के अब कोई ख़ौफ़ज़दा नहीं होता
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मुनासिब नहीं है यूं मासूम जीवों का क़त्ल
विरोध में यूं क़त्ल भी सही रस्ता नहीं होता
दीपक पान्डे
नैनीताल
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