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एक दीवाली ऐसी भी (कविता)

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
जलते दीयों कि जगह वृक्षों की कतार हो
आज हर एक शख्श
लगाये एक वृक्ष
झूमती हुई फूलों
की बहार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
न हो चीड़ ही हस्ती
बंजर पहाड़ों की धरती
बाँज कहीं उगाएं
तो कहीं देवदार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
तुलसी कहीं फूले
कहीं पेड़ों पर झूले
आँगन में नृत्य करता
मयूर बारम्बार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
कोई छत हो या आंगन
हो जल से भरा बर्तन
रहे न प्यासा कोई पक्षी
बस यही दरकार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
बच्चों को दें संस्कार
न हो नारी का तिरस्कार
खून से सना न अब
कोई अख़बार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
सासु करे सबर
न कोख बने कबर
माता पिता पर ही
सारा दारोमदार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
आपस में मेल हो
न खूनी खेल हो
धर्म के नाम पर अब
न कोई कारोबार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो
सीमा पर डटे
न प्रहरी का सर कटे
हर हमले के जवाब में
प्रचंड प्रहार हो
अबकी दीवाली में कुछ ऐसा चमत्कार हो

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