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आज के परिप्रेक्ष्य में राजनीती के पटल पर यदि राहुल गांधी कि तुलना नरेंद्र मोदी से कि जाय तो राहुल गांधी का व्यक्तित्व नरेंद्र मोदी के सामने एकदम बौना नजर आता है प्रतिभा के नाम पर यदि राहुल में कुछ है तो शायद यही वे श्रीमती इंदिरा गांधी के पोते तथा श्री राजीव गांधी के पुत्र हैं तभी तो आज कि विषम राजनीती में जब भ्रष्टाचार और मंहगाई से घिरा यह देश एक नाजुक दौर से गुजर रहा है तो वह कोई मजबूत वादा न करते हुए अपनी दादी और पिता के नाम पर जनता को भावुक कर वोट बटोरने कि कोशिश कर रहे हैं
आम तौर पर यह देखा गया है कि देश के किसी भी मुद्दे पर चाहे वह केदारनाथ त्रासदी हो या लोकपाल का मुद्दा वो वो कोई भी प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं नजर आते देश कि अर्थव्यवस्था के बारे में उनकी कोई दूरगामी योजना भी नहीं दिखाई देती वह एक युवा नेता हैं इसमें कोई शक नहीं है परन्तु क्या उनकी सोच भी इतनी युवा है यह सोचने का विषय है अगर उन्हें अपने आप को एक युवा सोच वाले नेता के रूप में ही प्रस्तुत करना था तो जब पूरी दिल्ली दामिनी को न्याय दिलाने में संघर्षरत थी तो वह भी एक देशवासी के रूप में आगे आते और जनता के साथ साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर शामिल होते तो आज पूरा देश उनके साथ होता
अनुभव के आधार पर भी यदि तुलना करें तो मोदी के साथ पूरा गुजरात है जहाँ उन्होंने विकास को मुद्दा बनाकर सभी धर्मो को सामान रूप से प्रभावित किया जबकि राहुल गांधी अपने सुशाशन का उदहारण देने के लिए कुछ भी नहीं है एक समय था जब लोकपाल कि मांग लेकर पूरा देश अन्ना हजारे के साथ खड़ा हुआ था तब संपूर्ण देश कि नजर इस भावी नेता कि ओऱ थी परन्तु राहुल गांधी ने एक भी शब्द कहना मुनासिब न समझा यदि ये उस समय समय जनता के सामने लोकपाल के समर्थक के रूप में अपने आप को पेश करते तो आज मोदी कि छवि इनके सामने बौनी प्रतीत होती
काले धन के मुद्दे पर भी इस युवा नेता ने चुप्पी साध ली थी जब इन सब मुद्दों पर इन्होने कोई शब्द न कहा तो अंततः ये सरे मुद्दे नरेंद्र मोदी कि झोली में आ गए उन्हें स्वयं मसीहा बनकर इन मुद्दों पर चर्चा करनी पड़ी आज जनता धर्म जाती पिता दादी आदि पारम्परिक मुद्दों से ऊब चुकी है उन्हें मुद्दा विकास का चाहिए
यदि आज भी राहुल गांधी एक सुदृढ़ नेता के रूप में उभारना चाहते हैं तो कुछ नया कहे आज देश कि जनता को एक ऐसे नेता कि जरुरत है जो समय आने पर पाकिस्तान को भी आँख दिखा सके उसके पालनहार अमेरिका को भी माक़ूल जवाब दे सके तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में भी देश कि एक साफ और ताक़तवर छवि पेश कर सके राहुल गांधी चाहें तो जनता के सामने अपनी ऐसी छवि पेश करें और देश कि बागडोर संभालें परन्तु क्या वह अपनी ऐसी छवि जनता के समक्ष ला पाएंगे यह तो समय ही बतायेगा इससे वह अपने पिता के सपनो का भारत बनाने में मददगार साबित होंगे
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