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सर्वप्रथम तो पूरे देश को बधाई देना चाहूँगा की भ्रष्टाचार के कफ़न में यह फैसला एक कील के रूप में साबित हुआ है शत शत नमन उन वकीलों को ,जिन्होंने ये केस को सही अंजाम तक पहुँचाया उन सी बी आई ऑफिसर्स को जिन्होंने ये जांच की तथा उन जज को जिन्होंने ये फैसला सुनाया इस केस से यह सिद्ध होता है की आज भी देश में ईमानदार ऑफिसर्स की कमी नहीं है
रही बात बिहार में लालू के या आर जे दी के भविष्य की तो उसका फैसला तो जनता पिछले चुनावों में ही सुना चुकी है बिहार की जनता को कबकी लालू तथा उनकी पार्टी को राजनितिक मृत्यु के अंजाम तक पहुंचा चुकी है जिसके साथ प्रजा ही नहीं है तो कांग्रेस भी उसका साथ कब तक और क्यूँ देगी अब इस पार्टी को वापस सत्ता में लाना बिहार की जनता के लिए अपने पैर में खुद कुल्हाड़ी मारने के सामान होगा आज जब बिहार एक bar सम्रद्धि की ओर अग्रसर है तो जनता यह आत्मघाती फैसला कभी नहीं लेना चाहेगी
सुनकर बड़ा अटपटा लगेगा परन्तु यह बताना लाजमी होगा की इस कारवां के मुख्या प्रणेता थे टी एन शेषन जिन्होंने इस देश को बताया की चीफ इलेक्शन कमिश्नर की शक्तियां क्या होती हैं और इन्हें किस प्रकार प्रयोग किया जाता है बिहार में लालू का किला ढहने की लिए पहली जरुरत थी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव जो की टी एन शेषन के द्वारा किये गए सुधारों से ही संभव हो सका हाँ उन्हें इतना नुक्सान जरुर हुआ की आज वो और ऑफिसर्स की तरह राज्यपाल या किसी अन्य ऊँचे पद पर आसीन नहीं हैं
आज जरूरत है बिहार से सबक लेते हुए यु पी की जनता भी सबक ले और जाती की राजनीती से ऊपर उठकर कुछ राजनेताओं की राजनितिक मृत्यु को अंजाम दे तथा इस राज्य को दंगो की राजनीती से उठाकर मुख्य धारा में लाये
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