CHINTAN JAROORI HAI
- 179 Posts
- 948 Comments
षड़यंत्र का चिड़ियाँ स्वयं ही
जाल जब बुनने लगें
बहेलियों को हर बार अपना
रहनुमां चुनने लगें
चिड़ियों से कह दो अब
आत्ममंथन जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
………………………………
बाढ़ जब बढ़ के स्वयं ही
खेत को खाने लगे
सिंह भी जब बिल्लियों के
आगे मिमियाने लगे
कह दो सभी जीव जंतुओं से
शक्ति प्रदर्शन जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
…………………………………
पुष्प का रस ले भ्रमर जब
दूजे चमन जाने लगे
बागबां बन मूकदर्शक
गाना वही गाने लगे
तितलियों से कह दो
अब भवरों का उन
तर्पण जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
…………………………….
नगर में जब द्रोपदी की
आबरू लूटने लगे
भीष्म भी दरबार में जब
टेकने घुटने लगे
कृष्ण का जन जन में तब
अवतरण जरुरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
दीपक पाण्डेय नैनीताल
Read Comments