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खातिर चमन के ज़हन में चिंतन जरूरी है (कांटेस्ट )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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षड़यंत्र का चिड़ियाँ स्वयं ही
जाल जब बुनने लगें
बहेलियों को हर बार अपना
रहनुमां चुनने लगें
चिड़ियों से कह दो अब
आत्ममंथन जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
………………………………
बाढ़ जब बढ़ के स्वयं ही
खेत को खाने लगे
सिंह भी जब बिल्लियों के
आगे मिमियाने लगे
कह दो सभी जीव जंतुओं से
शक्ति प्रदर्शन जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
…………………………………
पुष्प का रस ले भ्रमर जब
दूजे चमन जाने लगे
बागबां बन मूकदर्शक
गाना वही गाने लगे
तितलियों से कह दो
अब भवरों का उन
तर्पण जरूरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है
…………………………….
नगर में जब द्रोपदी की
आबरू लूटने लगे
भीष्म भी दरबार में जब
टेकने घुटने लगे
कृष्ण का जन जन में तब
अवतरण जरुरी है
खातिर चमन के ज़हन में
चिंतन जरूरी है

दीपक पाण्डेय नैनीताल

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